एक जोरदार नारा, चुनाव परिणाम बदलने का दमखम रखता है
नई दिल्ली – चुनाव प्रचार में नारों का अपना महत्व है। एक जोरदार नारा, चुनाव परिणाम बदलने का दमखम रखता है। लोकसभा चुनाव में 1952 से अब तक नारों की बहार रही है। इस बार भाजपा ने 2014 और 2019 की तरह ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर नारे तैयार किए हैं। वैसे देखा जाए तो इन नारों में हमेशा से चेहरा हावी रहा है।
अटल, आडवाणी, कमल निशान, मांग रहा है हिंदुस्तान। फिर अटल बिहारी बोल रहा है, इंदिरा शासन डोल रहा है। आपातकाल में इंदिरा इज इंडिया एंड इंडिया इज इंदिरा। 1980 में इंदिरा जी की बात पर, मुहर लगेगी हाथ पर। 1984 में जब तक सूरज चांद रहेगा, इंदिरा तेरा नाम रहेगा। उठे करोड़ों हाथ हैं, राजीव जी के साथ हैं। 1991 में राजीव तेरा ये बलिदान, याद करेगा हिंदुस्तान। 1996 में सबको देखा बारी-बारी, अबकी बार अटल बिहारी मोदी की गारंटी तीसरी बार मोदी सरकार, मोदी है तो मुमकिन है, हर-हर मोदी, घर-घर मोदी इन नारों में हमेशा से चेहरा हावी रहा है।