अजीत पवार को पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न इस्तेमाल करने से पहले अखबारों में देने होंगे विज्ञापन
मुंबई – ईडी सरकार में टेम्परेरी पार्टनर यानी अजीत पवार को लोकसभा चुनाव में चुनाव चिह्न के इस्तेमाल से पहले अखबारों में विज्ञापन देना पड़ेगा, इस तरह का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने अजीत पवार गुट को दिया है। सुप्रीम कोर्ट के उक्त आदेश से दादा गुट को जबरदस्त झटका लगा है।
बता दें कि राष्ट्रवादी कांग्रेस से अलग होने पर भी पार्टी का नाम और चिह्न का इस्तेमाल करके लोकसभा चुनाव में वोटों को चुराने की कोशिश में लगे अजीत दादा की घड़ी की सूई सुप्रीम कोर्ट के आदेश के कारण अटक गई है। कोर्ट ने कहा है कि चुनाव में घड़ी चिह्न और राष्ट्रवादी कांग्रेस नाम का प्रयोग करते समय समाचार पत्र में सूचना प्रकाशित करें कि मामला न्यायालय में विचाराधीन है। साथ ही कोर्ट ने अजीत पवार गुट को प्रचार सामग्री में इसका जिक्र करने का भी निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश से शरद पवार के नेतृत्व वाली पार्टी को बड़ी राहत दी है। इसमें तुतारी चिह्न और राष्ट्रवादी (शरदचंद्र पवार) नाम को लोकसभा के साथ विधानसभा चुनावों में भी इस्तेमाल करने की अनुमति दी है। राष्ट्रवादी में फूट के बाद केंद्रीय चुनाव आयोग ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी नाम और घड़ी चिह्न को अजीत पवार गुट को दे दिया है। इस पैâसले के खिलाफ शरद पवार के नेतृत्व में राकांपा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस पर न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति के. वी. विश्वनाथन की खंडपीठ के सामने सुनवाई हुई। इस दौरान वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी की दलील सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की घड़ी चुनाव चिह्न को अस्थाई रूप से प्रâीज कर दिया। अजीत पवार गुट को यह चिह्न दिए जाने से ग्रामीण क्षेत्रों में वोटरों में भ्रम पैदा हो सकता है। इसलिए फिलहाल चुनाव में चुनाव चिह्न घड़ी के इस्तेमाल पर स्थगन आदेश दिए जाने का अनुरोध किया। लेकिन कोर्ट ने सिंघवी की इस मांग को खारिज करते हुए घड़ी चिह्न और पार्टी के नाम से पैदा होनेवाले भ्रम से बचने के लिए मामला कोर्ट में विचाराधीन है, यह लिखना अजीत पवार गुट के लिए अनिवार्य कर दिया है। इसलिए चुनाव के दौरान घड़ी चिह्न के मुक्त उपयोग पर प्रतिबंध लग गया है।