महाराष्ट्र में अब अजित पवार के सामने बड़ा सियासी संकट

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मुंबई – लोकसभा चुनावों परिणामों का सबसे ज्यादा महाराष्ट्र की राजनीति में दिख रहा है। बीजेपी को जहां बड़ा नुकसान हुआ है तो वहीं दूसरी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के प्रमुख और उप मुख्यमंत्री अजित पवार एक साथ कई मुश्किलों से घिर गए हैं। उसके सामने एक साथ दो चुनौतियां आ गई हैं। पहली चुनौती है कि सभी 40 विधायकों को कैसे एकजुट रखा जाएगा? अगर पार्टी के विधायक शरद पवार की तरफ लौटते हैं तो विधानसभा चुनावों से पहले उनके लिए चुनौती और बढ़ जाएगी। जिसकी अटकलें लगातार लग रही हैं। दूसरी चुनौती है कि विधानसभा चुनावों में मुस्लिम और मराठा वोटों को साथ लाने की है। लोकसभा चुनावों में अजित पवार सिर्फ 1 सीट जीते हैं। वोट प्रतिशत भी कम रहा है। अजित पवार पिछले साल 2 जुलाई, 2023 सरकार का हिस्सा बने थे। अगले महीने वह डिप्टी सीएम के तौर पर एक साल पूरा करेंगे।

लोकसभा चुनावों में अजित पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को लोकसभा चुनावों में कुल छह सीटें मिली थी। इसमें लक्ष्यदीप की सीट शामिल थी। इस सीट पर कांग्रेस और शरद पवार की अगुवाई वाली एनसीपी में मुकाबला हुआ। इसमें कांग्रेस को 2,647 वोटों हार मिली। इस सीट पर अजित पवार के कैंडिडेट को सिर्फ 201 वोट मिले। महाराष्ट्र में अजित पवार को कुल पांच सीटें मिली थी। इसमें परभणी की सीट शामिल थी। बारामती में पत्नी सुनेत्रा की जीत सुनिश्चित करने के उन्होंने यह सीट राष्ट्रीय समाज पक्ष के प्रमुख महादेव जानकर को दे दी थी। ऐसे में उनकी पार्टी घड़ी चुनाव चिन्ह पर सिर्फ चार सीट पर लड़ी थी। इसमें उन्हें 1 सीट पर जीत मिली। अजित पवार की अगुवाई वाली एनसीपी को पुरानी पार्टी और पुराने सिंबल के बाद भी सिर्फ 3.60% वोट मिले। दूसरी ओर शरद पवार की पार्टी लक्ष्यदीप में दूसरी नंबर पर रही। करीबी मुकाबले में हारी। इसके साथ सांगली की सीट पर पार्टी जीत के करीब रही और प्रॉक्सी सिंबल से चुनाव हारी। इसके साथ पार्टी महाराष्ट्र की कुल 10 सीटों पर लड़कर आठ सीटें हासिल कीं। पवार की नई पार्टी को 10.27% वोट मिले।

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