मुंबई – राकांपा से बगावत करके ईडी सरकार में शामिल होने के बाद से ही अजीत पवार को घर से लेकर बाहर के लोगों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है यानी वे पूरी तरह से भाजपा के चक्रव्यूह में फंस चुके हैं। जिसके कारण उनका दम घुटने लगा है। क्योंकि घर,परिवार और मतदाता सभी के विरोध का सामना करना पड़ रहा है, जिसके कारण वे बौखला गए है। वे भाजपा के चक्रव्यूह से बाहर वैâसे निकलेंगे, इस बात का पता लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद ही चलेगा।
बता दें कि उनके करीबी भाई उद्योगपति श्रीनिवास, बहन शर्मिला और भतीजे युगेंद्र ने उनका साथ छोड़ दिया है। ऐसी स्थिति में दादा परिवार में अलग-थलग पड़ गए हैं।
बारामती सीट पर महागठबंधन में कौन चुनाव लड़ेगा, इसकी आधिकारिक घोषणा खबर लिखे जाने तक नहीं हुई है। लेकिन बारामती में यह बात अब किसी से छिपी नहीं है कि सुनेत्रा पवार सुप्रिया सुले के खिलाफ चुनाव लड़ेंगी। ऐसे में बारामती की लड़ाई ‘पवार घराने का महाभारत’ बन गई है और चुनाव परिणाम से पता चलेगा कि बारामती किसकी है।
वरिष्ठ नेता शरद पवार से नाता तोड़ अजीत पवार ने पार्टी और सिंबल भी हथिया लिया। उस समय बारामती में सब कुछ अजीत दादा ही थे। लेकिन शरद पवार ने की, जो एक सुलझे हुए राजनेता हैं, उनके आगे अजीत पवार कहीं भी नहीं टिक पाएंगे। शरद पवार हर गेंद को बहुत ही व्यवस्थित ढंग से फेंकना शुरू कर दिया है। ऐसे में बारामती सीट पर मुकाबला दादा के लिए बेहद मुश्किल हो गया है।