लखनऊ – बीजेपी ने कैसरगंज से सांसद बृजभूषण का टिकट तो काट दिया पर उनकी छाया से नहीं निकल पाई। आखिरकार पार्टी को उनके पहलवान बेटे करण भूषण सिंह को ही प्रत्याशी बनाना पड़ा। बीजेपी के बृजभूषण के इस दबदबे की छाया से न निकल पाने की पर्याप्त वजह भी है। बीजेपी के भीतर यह चर्चा आम थी कि बिना टिकट की घोषणा हुए चुनाव प्रचार में जुटे बृजभृषण को अगर साधा नहीं गया तो वह अवध क्षेत्र की कई सीटों पर समीकरण गड़बड़ कर सकते हैं।
गोंडा जिले की कैसरगंज लोकसभा सीट से सांसद बृजभूषण सिंह छह बार लोकसभा पहुंच चुके हैं। गोंडा और आसपास के कई जिलों में उनका दबदबा है। उनका असर इतना है कि कई जिलों में जिला पंचायत से लेकर विधानसभा चुनाव तक में उनकी मर्जी चलती है। उनके पास खुद का हेलिकॉप्टर है, जिससे पिछले विधानसभा चुनाव में कई जिलों में प्रचार करने पहुंचे ग। मूल रूप से पहलवान बृजभूषण छात्र राजनीति और फिर गन्ना संघों की राजनीति करते हुए सियासत में आए। वह 1989 में बीजेपी में आए थे और अयोध्या आंदोलन में सक्रिय होकर 1991 में पहली बार सांसद बने थे। इसके बाद बृजभूषण सिंह ने 1999, 2004, 2009, 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में भी जीत दर्ज की। 2009 में जब उनका भाजपा में विवाद हुआ तो उन्होंने पार्टी छोड़ दी थी। 2009 में वह सपा के टिकट पर कैसरगंज से जीते थे।