मुंबई, 05 दिसंबर । महाराष्ट्र मुख्यमंत्री के तौर पर तीसरी बार शपथ लेने वाले भाजपा के नेता देवेंद्र फडणवीस का संघर्षों से नाता रहा है। वह एकमात्र ऐसे नेता हैं, जो 2019 से 2024 तक के विधानसभा के पांच वर्ष के कार्यकाल में मुख्यमंत्री, विपक्षी नेता और उपमुख्यमंत्री पद पर रहे हैं। इस दौरान देवेंद्र फडणवीस का संघर्ष काबिले तारीफ रहा, जिसे देखते हुए महाराष्ट्र की जनता ने भाजपा नीत एनडीए गठबंधन के खाते में 288 सीटों में से 235 सीटें डाल दीं।
देवेंद्र गंगाधरराव फडणवीस का जन्म 22 जुलाई, 1970 को गंगाधरराव और सरिता फडणवीस के घर हुआ। उन्होंने कानून में ग्रेजुएशन किया और 1998 में जर्मनी के डाहलम स्कूल ऑफ एजुकेशन से बिजनेस मैनेजमेंट और प्रोजेक्ट मैनेजमेंट में डिप्लोमा पूरा किया। 2006 में अमृता फडणवीस से शादी हुई और दोनों की एक बेटी है। फडणवीस का राजनीतिक सफर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से शुरू हुआ। फडणवीस 1990 के दशक में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) में शामिल हुए। 1992 में नागपुर के राम नगर वार्ड से पहला नगर निगम चुनाव जीते और 22 वर्ष की उम्र में सबसे युवा पार्षद बने। 1997 में फडणवीस नागपुर नगर निगम के सबसे युवा मेयर बने और भारत के दूसरे सबसे युवा मेयर भी बने।
उन्होंने 1999 से 2004 तक लगातार तीन बार महाराष्ट्र विधानसभा के सदस्य के रूप में काम किया। 2001 में फडणवीस को भारतीय जनता युवा मोर्चा (बीजेवायएम) का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया। 2010 में भाजपा के प्रदेश महासचिव बने और 2013 में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चुने गए। इसके बाद 2014 में फिर से विधायक बनकर राज्य के मुख्यमंत्री बने । 2019 में नागपुर दक्षिण पश्चिम विधानसभा सीट से फिर से चुने गए। उस समय अविभाजित राकांपा के नेता अजीत पवार के साथ गठबंधन कर राज्य के दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, लेकिन गठबंधन विफल होने के बाद फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद देवेंद्र फडणवीस ने विधानसभा में ढाई साल नेता प्रतिपक्ष के रूप में काम किया। ढाई साल बाद एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में बनी सरकार में उपमुख्यमंत्री के रूप में काम किया। आज देवेंद्र फडणवीस ने तीसरी बार राज्य के 21 वें मुख्यमंत्री के रूप में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर राज्य की कमान संभाल ली है।