कोविशील्ड पर फैला ‘भ्रम या हकीकत’?

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मुंबई – कोविशील्ड वैक्सीन टीका लगवाने वाले लोग दहशत में हैं। क्या इसकी वजह कोरोना वैक्सीन निर्माता कंपनी एस्ट्राजेनेका का साइड इफैक्ट को लेकर कोर्ट में सरेआम कबूल कर लेना है? बीते एकाध दिनों से पूरे संसार में इसी को लेकर चर्चा हो रही है। भारत में ही नहीं, बल्कि विश्व में कोरोना के बाद कुछ ऐसा हुआ है कि कम उम्र और बिल्कुल तंदुरुस्त और चंगे भले इंसानों को अचानक हार्ट अटैक होना आरंभ हुआ। सांस्कृतिक मंचन हो, या शादी-ब्याह, पार्टी समारोह… लोगों का नाचने के दौरान गश खाकर गिरना और उसके तुरंत बाद मौत हो जाने की अनगिनत कहानियां हैं। करीब दो-तीन साल में हुई ऐसी मौतें पहेली बनी हुई हैं। अब संदेह और गहरा गया है। ऐसा दावा है कि ये सब कोविशील्ड टीके के साइड इफैक्ट के चलते हो रहा है। भ्रम है या हकीकत? ये तो भगवान ही जाने पर कोविशील्ड कंपनी का खुलासा यह दर्शाता है कि भविष्य में भी टीकाधारकों को साइड इफैक्ट हो सकता है। इस वैक्सीन के इस्तेमाल के आंकड़ा देखें तो सिर्फ भारत में ही एक अरब 17 करोड़ का है, जिसे कोरोना के बाद लोगों ने बचाव को ध्यान में रखकर लगवाए थे। पूरे संसार की बात करें, तो ये आंकड़ा ढाई से तीन अरब तक पहुंचता है।

गौरतलब है कि कोविशील्ड कंपनी एस्ट्राजेनेका ने जब से ब्रिटिश कोर्ट में जज के समक्ष स्वीकारा है कि उनके टीके के इस्तेमाल से ‘ब्लड क्लॉटिंग’ यानी खून के थक्कों के जमने की प्रबल संभावनाएं हैं, तब से चारों तरफ हंगामा कटा हुआ है। कंपनी की इस स्वीकारता से संसार भर में कोविशील्ड का टीका लगवाने वालों में दहशत का माहौल है। लोग डरे हुए हैं। लोग चिकित्सकों से परामर्श करने में लगे हुए हैं। हालांकि, तसल्ली इस बात की है कि भारत के लोगों को डरने की जरूरत नहीं है। भारतीय चिकित्सा तंत्र ने इसे मात्र भ्रम ही बताया है। उन्होंने फिलहाल वैक्सीन को सुरक्षित बताते हुए, भरोसा दिया है कि अगर साइड इफैक्ट देखें भी तो उस पर काबू पाने में हमारा हेल्थ सिस्टम सक्षम है। सरकार की ओर से भी यही बताया गया है। पर, लोगों के भीतर बैठ चुका डर निकलने का नाम नहीं ले रहा।

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