नई दिल्ली- चंद्रयान-3 की उल्लेखनीय सफलता के बाद अब इसरो का पूरा ध्यान चंद्रयान-4 पर है। इसरो प्रमुख एस. सोमनाथ ने इस संबंध में एक महत्वपूर्ण जानकारी दी है। इन हिस्सों को पहले कक्षा में भेजा जाएगा और फिर एक-दूसरे से जोड़ा जाएगा चांद पर जाने से पहले अंतरिक्ष में. ऐसा दुनिया में पहली बार होगा.
इसरो प्रमुख एस.सोमनाथ ने आगे कहा कि चंद्रयान-4 की वहन क्षमता इसरो के मौजूदा सबसे शक्तिशाली रॉकेट की क्षमता से भी अधिक होगी। इसलिए इसे दो लॉन्च में भेजा जाएगा। चंद्रयान-4 का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा से नमूने लाना है। दिलचस्प बात यह है कि इसरो लैंडर का निर्माण कर रहा है और जापान रोवर मॉड्यूल का निर्माण कर रहा है। 2026 तक चंद्रमा पर अंतरिक्ष यान भेजने की तैयारी चल रही है। इसरो पहले ही कह चुका है कि चंद्रयान-4 की लैंडिंग साइट शिव-शक्ति प्वाइंट होगी। वहीं चंद्रयान-3 की लैंडिंग हुई थी। चंद्रयान-3 ने लैंडिंग के बाद चंद्रमा पर कई महत्वपूर्ण स्थानों का पता लगाया था, जिससे नए मिशन में काफी फायदा होगा।