चेन्नई – मद्रास उच्च न्यायालय ने कहा है कि आपराधिक मामले का सामना कर रहा व्यक्ति मामले के लंबित रहने के दौरान पासपोर्ट नहीं प्राप्त कर सकता है, अगर अनुमति दी गई तो इससे आपराधिक कार्यवाही में बाधा आएगी।
न्यायमूर्ति एसएम सुब्रमण्यम ने लिखा कि भारत में आपराधिक मामले के लंबित रहने के दौरान विदेश यात्रा की अनुमति देने या पासपोर्ट जारी करने के लिए रिट याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। आपराधिक कार्यवाही का सामना कर रहे एक याचिकाकर्ता आर. थमिजहरसन ने रिट याचिका दायर कर क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय (आरपीओ), चेन्नई को उसे विदेश यात्रा की अनुमति देने के लिए पासपोर्ट जारी करने का निर्देश देने की मांग की है। याचिकाकर्ता के वकील ने प्रस्तुत किया कि उच्च न्यायालय (एचसी) ने उनके मुवक्किल के खिलाफ आगे की कार्यवाही पर अंतरिम रोक लगा दी है और पासपोर्ट जारी करने के लिए निर्देश मांगा है।
न्यायाधीश ने आगे कहा, “यदि अनुमति दी गई तो विदेश यात्रा के लिए पासपोर्ट सुरक्षित करने के लिए आपराधिक मामले के लंबित रहने के दौरान रिट याचिका दायर करने की प्रथा आपराधिक कार्यवाही में बाधा उत्पन्न करेगी। आपराधिक अदालत मुकदमे को आगे बढ़ाने या राहत देने की स्थिति में नहीं हो सकती है। इससे अपराध स्थापित करने में अभियोजन पक्ष नष्ट हो जाएगा।” इस मामले में नियम पर जोर देते हुए यह कहा गया कि पासपोर्ट अधिनियम 1967 की धारा-6(2) (एफ) के अनुसार- “आवेदक द्वारा किए गए कथित अपराध के संबंध में कार्यवाही भारत में आपराधिक अदालत के समक्ष लंबित है।” इस प्रकार पासपोर्ट को अस्वीकार करने का एक आधार है।