भोपाल – मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव के दो चरणों का मतदान बेहद निराश करने वाला रहा। 19 अप्रैल को पहले चरण में छह लोकसभा सीटों पर 2019 की तुलना में करीब सात प्रतिशत कम मतदान हुआ, वहीं 26 अप्रैल को हुए दूसरे चरण में भी छह सीटों पर 7.65 प्रतिशत कम रहा। दोनों चरणों की 12 सीटों पर औसत सात प्रतिशत कम मतदान हुआ है।
मतदान प्रतिशत घटने से राजनीतिक दलों के साथ ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी चिंतित है। अभी तक इस चुनाव में सीधे तौर पर भागीदारी से बच रहा संघ परिवार अब पूरी तरह से सक्रिय हो गया है। प्रदेश में तीसरे और चौथे चरण में 17 सीटों पर मतदान अभी बाकी है। इन दो चरणों में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए संघ ने कमर कस ली है।
संघ ने सभी प्रत्याशियों के साथ ही विधायकों, मंत्रियों और भाजपा के वरिष्ठ पदाधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए है कि न तो मतदान प्रतिशत कम होना चाहिए और न ही पिछले चुनाव से वोटों की बढ़त कम होनी चाहिए। संघ का मूल काम ही जनजागरण है। इस चुनाव में भी संघ मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए जनजागरण कर रहा है। संघ ने अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए अनुषांगिक संगठनों को भी जिम्मेदारी सौंपी है। संघ ने लोकसभा चुनावों में अप्रत्यक्ष तौर पर हस्तक्षेप तो प्रभारियों की नियुक्ति के साथ ही शुरू कर दिया था।