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राज्य के औद्योगिक विकास के लिए अडानी से कई बार मिले लेकिन राज्य सरकार से उनके साथ कोई समझौता नहीं हुआः जगनमोहन रेड्डी

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अमरावती, 28 नवंबर । वाईएसआर कांग्रेस नेता और आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी ने अडानी मामले पर सनसनीखेज बयान और इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने आंध्र प्रदेश के राजधानी अमरावती के अपने कार्यालय ताडेपल्ली में मीडिया से बात की। उन्होंने अपनी सरकार के दौरान किए गए बिजली खरीद समझौतों के बारे में बताया।

उन्होंने कहा कि उनके कार्यकाल में इनसे सरकार का राजस्व बढ़ा है। जगन ने कहा कि चंद्रबाबू सरकार के राजस्व को हड़पने की कोशिश करने और अडानी के खिलाफ दर्ज मामलों का जिक्र करते हुए कहा कि उनका नाम कहीं भी नहीं है।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि वह पिछले पांच वर्षों में कई बार अडानी से मिल चुके हैं। उन्होंने खुलासा किया कि यहां कुछ परियोजनाओं पर समझौते भी किये गए लेकिन कोई तीसरा पक्ष इस समझौता में भाग नहीं लिया है। जगन मोहन रेड्डी ने चेतावनी दी कि वह उनके खिलाफ झूठ फैलाने वालों के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर करेंगे।

जगनमोहन रेड्डी ने कहा कि वे यह दिखाने की साजिश रच रहे हैं कि उनकी सरकार के शासनकाल के दौरान बिजली खरीद समझौते गलत थे। उन्होंने स्पष्ट किया कि राज्य के इतिहास में सबसे सस्ती बिजली खरीद हमारे शासनकाल के दौरान की गई थी। केंद्र सरकार ने कहा कि वे विशेष प्रोत्साहन देंगे। 5.10 रुपये से घटाकर 2.49 रुपये प्रति यूनिट हमारे पास 15 हजार 9 मी. बिजली की खपत है.. इससे लाखों करोड़ों की बचत होना क्या संपत्ति सृजन नहीं है? जब आपको केंद्र से लेकर राज्य तक इतना अच्छा ऑफर मिलता है तो मैं इसे किनारे रख दूं तो आप मेरे बारे में क्या सोचते हैं?

जगन ने पूछा कि क्या सीएम चंद्रबाबू जानबूझकर झूठ फैलाकर अधर्म निभा रहे हैं? वाईएस जगन ने कहा कि पहले कभी इतनी सस्ती कीमत पर बिजली नहीं खरीदी गई। चंद्रबाबू के कार्यकाल के दौरान 2014-19 के बीच 133 पीपीए बनाए गए। पवन ऊर्जा के औसत 4.80 रुपये प्रति यूनिट पर बनाए गए खरीदा।

जगन ने कहा कि उन्होंने औसतन 5.90 रुपये में सौर ऊर्जा की एक यूनिट खरीदी। क्या ऐसे समझौते करने वाले चंद्रबाबू कुशल और ईमानदार हैं?

वाईएस जगन ने कहा कि चंद्रबाबू के सोलर ठेकों की वजह से हर साल 2 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा.. 25 साल में 50 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। क्या यह राज्य के नागरिकों से धोखा करना नहीं है?

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