भुवनेश्वर – वीके पांडियन ने आईएएस की नौकरी छोड़कर बीजेडी का दामन थाम लिया था। जल्द ही वह ओडिशा के तत्कालीन मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के भरोसेमंद नौकरशाह सहयोगी से राजनीतिक उत्तराधिकारी बन गए। ओडिशा विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में बुरी हार के बाद रविवार को वीके पांडियन एक बयान आया कि वह अपनी राजनीतिक पारी खत्म कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यदि मेरे खिलाफ अभियान की वजह से बीजद को हार का सामना करना पड़ा है तो मुझे खेद है। उनके इस बयान को लेकर सियासी हलचल मची ही थी कि इसी बीच दूसरी चर्चा शुरू हो गई। चर्चा अरुण पटनायक नाम के एक युवक को लेकर हो रही है। यह युवक कोई और नहीं बल्कि नवीन पटनायक का भतीजा है। जिसकी अब राजनीति में अचानक एंट्री की अटकलें शुरू हो गई हैं। यह कयास तब लगने शुरू हुए, जब उसने नवीन पटनायक से मुलाकात की।
वीके पांडियन ने कहा, ‘मैंने जानबूझकर खुद को सक्रिय राजनीति से अलग करने का फैसला किया है… मैं बीजू परिवार और बीजेडी के सभी कार्यकर्ताओं से माफी मांगता हूं। राजनीति में आने का मेरा एकमात्र उद्देश्य अपने गुरु नवीन पटनायक की सहायता करना था।’ उन्होंने एक रैली में घोषणा की थी कि यदि बीजेडी तीन-चौथाई बहुमत के साथ सत्ता में नहीं लौटी तो वह राजनीति छोड़ देंगे।