नई दिल्ली, 27 नवंबर । आयकर विभाग की स्थायी खाता संख्या (पैन) 2.0 प्रोजेक्ट को आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीईए) ने हाल में मंजूरी दी है। इस परियोजना का उद्देश्य पैन और टैन जारी करने और प्रबंधित करने की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित और आधुनिक बनाना है, जिससे इसे अधिक उपयोगकर्ता-अनुकूल और कुशल बनाया जा सके।
वित्त मंत्रालय ने बुधवार को जारी बयान में कहा कि पैन लंबे समय से भारत की वित्तीय और प्रशासनिक प्रणालियों की आधारशिला रही है, जो वित्तीय पारदर्शिता और अनुपालन को बढ़ावा देते हुए लोगों और व्यवसायों को महत्वपूर्ण आर्थिक गतिविधियों से भी जोड़ती है। डिजिटल अर्थव्यवस्था के एक प्रमुख प्रवर्तक के रूप में पैन आवश्यक सर्विस के लिए एक प्रवेश द्वार के तौर पर कार्य कर रहा है, जिससे यह दैनिक जीवन में जरूरी हो गया है।
मंत्रालय ने कहा कि यूजर फ्रेंडली बढ़ाने और तकनीकी प्रगति के साथ तालमेल बिठाने के लिए केंद्रीय कैबिनेट ने हाल ही में पैन 2.0 को मंजूरी दी है, जो भारत के विकसित हो रहे डिजिटल और वित्तीय परिदृश्य में पैन की सेवा करने के तरीके को फिर से परिभाषित करने की दिशा आगे बढ़ाया गया एक कदम है। मंत्रालय ने बताया कि पैन 2.0 परियोजना उन्नत ई-गवर्नेंस के माध्यम से करदाता पंजीकरण को आधुनिक बनाने की एक बदलावकारी पहल है। यह 1,435 करोड़ रुपये के वित्तीय परिव्यय के साथ निर्बाध डिजिटल अनुभव प्रदान करने के लिए पैन और टैन सेवाओं को फिर से तैयार करेगा।
मंत्रालय के मुताबिक इस परियोजना का उद्देश्य पैन और टैन जारी करने और प्रबंधित करने की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित और आधुनिक बनाना है, जिससे इसे और अधिक यूजर फ्रेंडली तथा कुशल बनाया जा सके। यह परियोजना करदाताओं की जरूरतों को पूरा करती है, जिसमें विभिन्न प्लेटफॉर्म या पोर्टल को एकीकृत करने और पैन और टैन धारकों को कुशल सेवाएं देने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
पैन 2.0 परियोजना के महत्वपूर्ण लाभ निम्नलिखित हैं:
-उपयोगकर्ताओं के लिए पहुंच को सरल बनाने हेतु सभी पैन/टैन-संबंधी सेवाओं के लिए एक एकल पोर्टल।
-कागजी कार्रवाई को सीमीत करने लिए पर्यावरण अनुकूल कागज रहित प्रक्रियाएं।
-पैन कार्ड निःशुल्क जारी किया जाएगा तथा इसकी प्रक्रिया भी शीघ्र होगी।
-व्यक्तिगत और जनसांख्यिकीय डेटा को पैन डेटा वॉल्ट सहित उन्नत सुरक्षा उपायों के माध्यम से संरक्षित किया जाएगा।
-उपयोगकर्ताओं के प्रश्नों और समस्याओं के समाधान के लिए एक समर्पित कॉल सेंटर और हेल्पडेस्क।
मौजूदा पैन कार्डधारकों के लिए बदलाव
पुराने पैन कार्ड धारकों को चिंता करने की जरूरत नहीं है। मौजूदा पैन कार्डधारकों को अपग्रेडेड सिस्टम के तहत नए पैन के लिए आवेदन करने की जरूरत नहीं है। मौजूदा वैध पैन कार्ड, पैन 2.0 के तहत तब तक पूरी तरह से पहले की तरह काम करेंगे, जब तक कि धारक अपडेट या सुधार का अनुरोध न करें। जब तक अपडेट या सुधार के लिए कोई विशिष्ट अनुरोध न किया जाए, तब तक कोई नया पैन कार्ड जारी नहीं किया जाएगा।
पैन कार्ड निम्नलिखित तरीके से प्राप्त किया जा सकता है:
-प्रत्येक व्यक्ति यदि उसकी कुल आय या किसी अन्य व्यक्ति की कुल आय, जिसके संबंध में वह वर्ष के दौरान कर योग्य है, उस अधिकतम राशि से अधिक है जो कर योग्य नहीं है।
-एक धर्मार्थ ट्रस्ट जिसे धारा 139(4ए) के तहत रिटर्न प्रस्तुत करना आवश्यक है।
-प्रत्येक व्यक्ति जो कोई ऐसा व्यवसाय या पेशा चला रहा है जिसकी कुल बिक्री, टर्नओवर या सकल प्राप्तियां किसी भी वर्ष में पांच लाख रुपये से अधिक है या उससे अधिक होने की संभावना है।
-प्रत्येक व्यक्ति जो निर्दिष्ट वित्तीय लेनदेन में प्रवेश करना चाहता है, जिसमें पैन का उल्लेख करना अनिवार्य है।
-प्रत्येक गैर-व्यक्तिगत निवासी शख्स और उनके साथ जुड़ा शख्स यदि वित्तीय वर्ष के दौरान 2,50,000 रुपये से अधिक का वित्तीय लेनदेन करता है, तो उसे पैन के लिए आवेदन करना होगा।
पैन न होने या एक से अधिक पैन रखने पर जुर्माना :
-आयकर अधिनियम की धारा 272बी के तहत पैन संबंधी प्रावधानों का पालन न करने वाले करदाताओं पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाता है। इसमें आवश्यकता पड़ने पर पैन न लेना, निर्धारित दस्तावेजों पर जानबूझकर गलत पैन नंबर दर्ज करना या कर काटने या वसूलने वाले व्यक्ति को गलत पैन नंबर देना शामिल है।
-आयकर अधिनियम के अनुसार, किसी भी व्यक्ति को एक से अधिक पैन रखने की अनुमति नहीं है। यदि कोई व्यक्ति एक से अधिक पैन रखता है, तो उसे क्षेत्राधिकार निर्धारण अधिकारी को सूचित करना होता है और अतिरिक्त पैन को निष्क्रिय या हटाने का अनुरोध करना होता है।
-पैन 2.0 के तहत, डुप्लिकेट पैन अनुरोधों की पहचान करने के लिए सिस्टम को बेहतर लॉजिक के साथ बढ़ाया गया है। यह केंद्रीकृत और उन्नत तंत्र एक से अधिक पैन रखने वाले व्यक्तियों की घटनाओं को कम करने में मदद करेगा।
टैन का आवंटन
कर कटौती और संग्रह खाता संख्या (टैन) आयकर विभाग के द्वारा टीडीएस या टीसीएस के लिए जिम्मेदार संस्थाओं के लिए जारी किया गया 10 अंकों का अल्फ़ान्यूमेरिक कोड है। रिटर्न दाखिल करने, भुगतान करने और टीडीएस या टीसीएस प्रमाणपत्र जारी करने के लिए यह अनिवार्य है। धारा 194-आईए जैसे विशिष्ट प्रावधानों के अलावा टैन, पैन की जगह नहीं ले सकता है। टैन प्राप्त करने या उद्धृत करने में विफल रहने पर दंड लग सकता है, जो कर विनियमों के अनुपालन और सटीक कटौती ट्रैकिंग सुनिश्चित करने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर देता है।
उल्लेखनीय है कि पैन 2.0 परियोजना भारत की कर प्रणाली को उन्नत डिजिटल प्रक्रियाओं, सुरक्षा और अधिक लोगों तक पहुंच बनाने के साथ आधुनिक बनाने की दिशा में एक बड़ी छलांग है। प्रत्यक्ष वितरण मॉडल में बदलाव और वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं को एकीकृत करके, यह करदाताओं के लिए अधिक सुव्यवस्थित और कुशल अनुभव का वादा करता है, जो सरकार के डिजिटल इंडिया के दृष्टिकोण के अनुरूप है। यह पहल न केवल सेवाओं को सरल बनाती है बल्कि डेटा सुरक्षा और पारदर्शिता भी सुनिश्चित करती है, जिससे बेहतर कर अनुपालन और शासन को बढ़ावा मिलता है।