पटना- आरजेडी नेता तेजस्वी यादव कहते हैं कि लोकसभा चुनाव के नतीजे चौंकाएंगे। अपनी हर सभा में बड़े आत्मविश्वास के साथ वे यह बात कहते हैं। इंडी अलायंस के अन्य नेता भी तेजस्वी की तरह ही दावे कर रहे हैं। इससे एनडीए के नेता बिदक जाते हैं। तेजस्वी का यह कॉन्फिडेंस स्वाभाविक है। इसलिए कि पिछले चुनाव में तो कांग्रेस ने एक सीट पर जीत हासिल भी की थी, पर आरजेडी या इंडी अलायंस में शामिल दूसरे दलों का खाता भी नहीं खुल पाया था। यानी इस बार आरजेडी का खाता खुल जाए तो वह चौंकाने वाली बात ही तो होगी। पर, तेजस्वी के दावे पर एनडीए नेताओं का बिदकना समझ में नहीं आता। शायद वे इसलिए बिदकते हैं कि इस बार गैर भाजपा दलों से कड़ी टक्कर मिल रही है। इसी कड़ी टक्कर को देख तेजस्वी उत्साहित भी हैं।
हालांकि जमीनी हकीकत ठीक वैसी ही है, जैसी 2014 या 2019 के लोकसभा चुनाव में थी। यानी मोदी की अंधभक्ति का उलाहना झेलने के बावजूद भाजपा का वोट बैंक आज भी अक्षुण्ण है। मोदी का वोट बैंक नौकरी के लालच में या महंगाई से मुक्ति के लिए नहीं बना था। मोदी में उनके वोटरों ने हिन्दुत्व की जो छवि गोधरा कांड के दिनों में देखी थी, उसी आधार पर लोगों ने मोदी को मजबूत बनाने का मन बनाया था। उसमें आज भी उन्हें कोई कमी नहीं दिख रही है। भाजपा वैसे भी वामपंथियों की तरह कैडर वाली पार्टी है। ये कैडर भी वामपंथी से कांग्रेसी हुए कन्हैया कुमार की तरह दो-चार साल में नहीं बने हैं, बल्कि 10 साल से मोदी के कारण भाजपा के साथ हैं। इसलिए विपक्षी गठबंधन के लाख लालच और लुभावने वादों के बावजूद वे मोदी के रहते दूसरे किसी के बारे में सोचें, यह संभव हो नहीं है। अपवाद को छोड़ कर। अपवाद में भी 5-10 प्रतिशत फ्लोटिंग वोटर ही हो सकते हैं, जो तात्कालिक कारणों के आधार पर वोट देने का मन बनाते हैं।