चेन्नई: तमिलनाडु के कृष्णागिरी में विद्या रानी विरासत और महत्वाकांक्षा की महान शख्सियत की तरह उभरती हैं. कुख्यात वन डाकू वीरप्पन की बेटी, जिसने दशकों तक तमिलनाडु और कर्नाटक में कानून प्रवर्तन को अपने नियंत्रण में रखा, विद्या अपने पिता की अदम्य भावना से प्रेरणा लेती हैं.
“मैं अपने पिता को बड़ी प्रेरणा मानती हूं क्योंकि मेरे आस-पास के लोग ज़िंदगी भर मुझे बताते रहे कि उन्होंने क्या किया है.” वीरप्पन की मौत के 20 साल बाद भी उसके इतिहास पर विवाद है, बावजूद इसके 33 साल की विद्या, नाम तमिलर काची (एनटीके) में शामिल हो रही हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें पार्टी प्रमुख सीमान के दृष्टिकोण की प्रतिध्वनि मिलती है, जो उनके पिता के आदर्शों पर चलते हैं.
श्रीलंकाई गृहयुद्ध (1983-2009) की प्रतिक्रिया में 2010 में गठित एक तमिल राष्ट्रवादी पार्टी, एनटीके ने अभी तक किसी भी चुनाव में एक भी सीट नहीं जीती है. 2016 के विधानसभा चुनाव में चुनावी शुरुआत करने वाली पार्टी ने उस साल 1.06 प्रतिशत वोट शेयर हासिल किया, जो 2021 में बढ़कर 6.89 प्रतिशत हो गया. लॉ ग्रेजुएट, विद्या की यात्रा 2020 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ शुरू हुई और अब कृष्णागिरी सीट से एनटीके की उम्मीदवार बनकर वे निर्णायक मोड़ लेने वाली हैं.