नई दिल्ली – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में एक चुनावी रैली में कहा था कि कांग्रेस माताओं-बहनों के सोने का हिसाब करेगी। फिर उस संपत्ति को उनको बांटेगे जिनके बारे में मनमोहन सिंह की सरकार ने कहा था कि संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है। मोदी के इस बयान के बाद प्रचंड गर्मी में सियासी पारा और बढ़ गया है। कांग्रेस पीएम मोदी के इस बयान को लेकर चुनाव आयोग तक पहुंच गई है। सियासी बयानबाजी जो भी हो, लेकिन यह हकीकत है कि देश में मुसलमानों के पास संपत्ति की ज्यादा कमी नहीं है। बीते साल अल्पसंख्यक मंत्रालय ने फरवरी में लोकसभा में यह जानकारी दी थी कि मुस्लिमों की संस्था वक्फ बोर्ड के पास दिसंबर, 2022 तक कुल 8,65,646 अचल संपत्ति थी।
एक आंकड़े के अनुसार, भारत में वक्फ की कुल संपत्ति करीब 8 लाख एकड़ है। यह संपत्ति इतनी ज्यादा है कि सेना और रेलवे के बाद वक्फ के पास सबसे ज्यादा प्रॉपर्टी है। 2009 में यह प्रॉपर्टी करीब 4 लाख एकड़ ही थी, जो अब दोगुनी हो चुकी है। वक्फ को मुस्लिमों का रहनुमा कहा जाता है, फिर भी देश में मुस्लिमों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति बेहद खराब है। सच्चर कमेटी के अनुसार, देश में मुस्लिमों की हालत अनुसूचित जातियों से भी ज्यादा बदतर है।