जन्माष्टमी पर बन रहा है दुर्लभ संयोग, ऐसे करें श्रीकृष्ण की पूजा

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भारत समेत दुनियाभर में कृष्ण जन्माष्टमी मनाने की तैयारी में जुटे हैं। कृष्ण भक्त इस साल अपने आराध्य का भगवान श्रीकृष्ण का 5248वां जन्मोत्सव मनाएंगे।

भगवान कृष्ण के मध्य रात में प्रकट होने के कारण भक्त पूरे दिन व्रत रखते हैं। रात को भगवान श्रीकृष्ण का जन्म होने के बाद वह व्रत खोलते हैं और अगले दिन नंदोत्सव मनाते हैं।

इस साल कृष्ण जन्माष्टमी तिथि दो दिन पड़ने के कारण लोगों में भ्रम की स्थिति है। कुछ लोग श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 18 अगस्त को तो कुछ 19 अगस्त को मना रहे हैं। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक भदो मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 18 अगस्त, गुरुवार की रात 09:21 से शुरू हो रही है। अष्टमी तिथि 19 अगस्त को रात 10:50 बजे समाप्त होगी।

जन्माष्टमी पर बन रहे हैं खास योग (Janmashtami Shubh Yoga)
अष्टमी तिथि 18 अगस्त को शाम 9 बजकर 20 मिनट से प्रारंभ होगी और 19 अगस्त को रात 10 बजकर 59 मिनट पर समाप्त होगी। निशीथ पूजा 18 अगस्त की रात 12 बजकर तीन मिनट से लेकर 12 बजकर 47 मिनट तक रहेगी। निशीथ पूजा की कुल अवधि 44 मिनट की होगी। पारण 19 अगस्त को सुबह 5 बजकर 52 मिनट के बाद होगा।

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर इस बार बेहद खास संयोग बन रहा है। ज्योतिषियों के मुताबिक, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर इस साल 51 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा। अभिजीत मुहूर्त 12 बजकर 5 मिनट से 12 बजकर 56 मिनट तक मुहूर्त रहेगा। इस दिन अष्टमी की शुभ बेला और रात को रोहिणी नक्षत्र का संयोग भी बनेगा। इस योग में पूजा व्रत करने से जातक को लाभ मिलेगा।

इतना ही नहीं 19 अगस्त को कृत्तिका नक्षत्र होने से छत्र नाम का शुभ योग दिन भर रहेगा। इसके साथ ही ध्रुव नाम का एक अन्य शुभ योग भी इस दिन रहेगा। 19 अगस्त को चंद्रमा और मंगल एक ही राशि में रहेंगे, जिससे महालक्ष्मी योग बनेगा। साथ ही इस दिन सूर्य और बुध भी एक ही राशि में होने से बुधादित्य नाम का एक अन्य शुभ योग भी इस दिन रहेगा। इन शुभ योगों में की गई पूजा और उपाय धन लाभ देने वाले रहेंगे।

जन्माष्टमी शुभ मुहूर्त (Janmashtami Shubh Muhurt)
अष्टमी तिथि प्रारम्भ- 18 अगस्त को 09:20 पीएम
अष्टमी तिथि समाप्त- 19 अगस्त को 10:59 पीएम
रोहिणी नक्षत्र प्रारम्भ- 20 अगस्त को 01:53 एएम
रोहिणी नक्षत्र समाप्त- 21 अगस्त को 04:40 एएम
अभिजीत मुहूर्त- 12:05 -12:56 तक
वृद्धि योग- बुधवार 17 अगस्त दोपहर 08:56 – गुरुवार 18 अगस्त रात्रि 0841 तक

मथुरा में आधी रात को हुआ था भगवान कृष्ण का जन्म
मान्यता के मुताबिका द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्र महीने में रोहिणी नक्षत्र में अष्टमी तिथि को हुआ था। भगवान श्रीकृष्ण को आधी रात को मथुरा में कंस के कारागार में प्रकट हुए। उनके जन्म के बाद आधी रात को ही मुसलाधार बारिश के बीच वासुदेव जी सूप में रखकर भगावन को गोकुल ले गए। द्वापर युग में भगवान के जन्म लेने के बाद से आज तक मथुरा में भगवान के जन्मोत्सव को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।

ऐसे करें जन्माष्टमी व्रत
अष्टमी तिथि को सुबह उठकर नित्य कर्म से निवृत होकर साफ वस्त्र धारण करें। इसके बाद शुद्ध आसन पर पूर्व या उत्तर की ओर मुंह करके बैठें। सभी देवी देवताओं को प्रणाम करके हाथ में जल, फल और पुष्प लेकर अष्टमी तिथि को व्रत का संकल्प लें। इसके बाद स्वयं के ऊपर काला तिल छिड़क कर माता देवकी के लिए एक प्रसूति घर का निर्माण करें। फिर इस प्रसूति गृह में बिस्तर कलश स्थापना करें। माता देवकी की स्तनपान कराती प्रतिमा भी रखें।

ऐसे करें भगवान श्रीकृष्ण की पूजा
कृष्ण जन्माष्टमी के दिन पूजा करने से पहले भगवान श्री कृष्ण का पूरा श्रृंगार होता है। उन्हें झूले में बैठाया जाता है। श्रृंगार करने के बाद उन्हें अक्षत व रोली का तिलक लगाएं। कृष्ण भगवान श्री कृष्ण को वैजयंती के फूल अर्पित करना सबसे शुभ माना जाता है। श्री कृष्ण को माखन व मिश्री पंचामृत का भोग जरूर लगाएं। कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा करते वक्त कृष्ण के विशेष मंत्रों का जाप जरूर करें। पूजा के बाद भगवान श्री कृष्ण को लगाया गया भोग सभी को प्रसाद के रूप में दें।

(Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारियां सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं। दैनिक दक्षिण मुंबई इसकी पुष्टि नहीं करता है। इसके लिए किसी जानकार की सलाह जरूर लें।)

Edited By :- Rahanur Amin Lashkar

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