उज्जैन: साल में एकबार बदल जाती है महाकाल मंदिर में भस्मारती की परंपरा, तड़के हुआ पंचामृत अभिषेक

0

महाशिवरात्रि के दूसरे दिन उज्जैन के विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर में महाकाल बाबा का सवामन फूलो से आकर्षक सेहरा बांधा गया। महाशिवरात्रि महापर्व पर बाबा महाकाल और माता पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था। इसी के अगले दिन साल हर साल तड़के होने वाली महाकाल की भस्मारती दोपहर में होती है।

बता दें कि उज्जैन के विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर में साल में 1 दिन ऐसा आता है जब भस्म आरती की परंपरा बदल जाती है। यहां सुबह 4:00 बजे होने वाली भस्मारती बुधवार को नहीं हुई। दरअसल परंपरा अनुसार महाशिवरात्रि के दूसरे दिन बाबा महाकाल की भस्म आरती दोपहर में होती है। यही कारण है कि रोजाना सुबह होने वाली भस्मारती बुधवार सुबह नहीं हो सकी। रात भर महाकालेश्वर मंदिर में बाबा महाकाल के दर्शन होते रहे। सुबह 4:00 बजे भस्म आरती की बजाय बाबा महाकाल का पंचामृत अभिषेक हुआ। जिसमें दूध दही घी सुगंधित द्रव्य के साथ सप्तधान और आकंड़े के फूल अर्पित किए गए। बुधवार सुबह भक्तों ने भस्म आरती के बजाय बाबा का पंचामृत अभिषेक देखा। 

साल में एक बार लगातार 48 घंटे तक होते हैं महाकाल के दर्शन

महाकाल मंदिर संजय पुजारी ने बताया कि बाबा महाकाल का आज सिंधिया परिवार द्वारा प्रदान किये गए मुखोटे से श्रृंगार किया गया। बाबा महाकाल को अर्पित धान और आंकड़े के फूल भस्मारती के बाद भक्तों को वितरित किए जाएंगे। इनकी मान्यता है कि इसे घर मे रखने से शुभ कार्य जल्द सम्पन्न होते हैं और घर मे धन धान्य सहित सुख समृद्धि आती है। उन्होंने बताया साल में एक बार महाकाल के दर्शन 48 घंटे के लिए खुले रहते हैं। मंगलवार रात में 4 पहर की आरती हुई और जिसमें दूध, दही, फूल, रस और इत्र से स्नान कराया गया। उन्होंने बताया कि सवा लाख बेल पत्र, सवा मन आंकड़ों के फूल और अन्य फूलों से दूल्हे के रूप में महाकाल को सजाया जाता है। उसके बाद महाकाल श्रद्धलुओं को दर्शन देते हैं।

About Author

Comments are closed.

Maintain by Designwell Infotech