क्रिकेट के खेल में बल्ले और गेंद के बीच लड़ाई देखने को मिलती है और बेहतर खेल दिखाने वाली टीम जीत दर्ज करने में सफल रहती है। लेकिन, अगर हम आपसे कहे कि किसी मैच में हार और जीत महज सिक्का उछलने के साथ ही लगभग तय हो सकती है तो शायद आपको यकीन नहीं होगा। टी-20 विश्व कप 2021 के फाइनल मुकाबले में कुछ ऐसी कहानी देखने को मिल सकती है, जहां ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड की टीम अपना पहला खिताब पाने के लिए एक दूसरे से भिड़ेंगी। इस मुकाबला में समझ लीजिए टॉस जिसके पक्ष में गिरेगा उसकी जीत 90 प्रतिशत तो कन्फर्म हो जाएगी। अब ऐसा हम क्यों कह रहे हैं वो आइए आपको बता देते हैं।
ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच वर्ल्ड कप का फाइनल मैच दुबई इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम में खेला जाना है। इस मैदान पर टूर्नामेंट के 12 मैच खेले गए हैं, जिसमें से 10 में जीत उसी टीम के हाथ लगी है जिसके कप्तान ने टॉस की बाजी मारी है। दुबई में 12 में से 11 मुकाबलों में चेज करने वाली टीम ने मैदान मारा है। फाइनल के प्रेशर को देखते हुए अगर ऑस्ट्रेलिया-न्यूजीलैंड में से कोई टीम टॉस जीतकर पहले बैटिंग करने का फैसला करती है तो उसको कम से कम स्कोर बोर्ड पर 180 रन टांगने होंगे। क्योंकि साल 2018 से दुबई के मैदान पर खेले गए आखिरी 20 टी-20 मैच में से 19 में जिस टीम ने भी 180 का आंकड़ा पार कियाअब समझ लीजिए टी-20 वर्ल्ड कप फाइनल में टॉस जीतना क्यों महत्वपूर्ण है। दरअसल, फटाफट क्रिकेट के छह संस्कृरण खेले गए हैं, जिसमें से पांच बार वही टीम चैंपियन बनी है जिसके पक्ष में सिक्स उछला है। महज साल 2009 में पाकिस्तान की टीम श्रीलंका के खिलाफ टॉस गंवाने के बावजूद खिताब को अपने नाम करने में सफल रही थी। यूएई और ओमान की धरती पर खेले जा रहे विश्व कप के 25 मैचों में से 17 में जीत उसी टीम के हाथ लगी है जिसने टॉस पर कब्जा जमाया है। यानी तस्वीर साफ है दुबई में टॉस जीतो मतलब मैच जीतो और फाइनल को देखते हुए कहना होगा कि टॉस जीतो मतलब खिताब जीतो। है उसकी जीत पक्की रही है। बचे एक मैच का नतीजा नहीं निकल सका है।