Bombay HC ने होमागार्ड के डीजी परमबीर सिंह की एसटी-एससी एक्ट में गिरफ्तारी पर 9 जून तक रोक लगाई
महाराष्ट्र सरकार ने कोर्ट से कहा है कि यदि पूर्व मुंबई पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह उनके खिलाफ एससी/एसटी कानून के तहत दर्ज मामले की जांच में सहयोग करते हैं, तो उन्हें 9 जून तक गिरफ्तार नहीं किया जाएगा।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने आज सोमवार को महाराष्ट्र होमगार्ड के डीजी और मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परम बीर सिंह (Param Bir Singh) को 2015 के एक मामले में पुलिस इंस्पेक्टर भीमराव घाडगे द्वारा दर्ज प्राथमिकी में गिरफ्तारी से सुरक्षा प्रदान की है. ग्रीष्म अवकाशकालीन की नियमित पीठ मामले की अगली सुनवाई के लिए को 9 जून तक के लिए स्थगित कर दिया है.वहीं, महाराष्ट्र सरकार ने सोमवार को कहा कि यदि पूर्व मुंबई पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह उनके खिलाफ एससी/एसटी (अत्याचार रोकथाम) कानून के तहत दर्ज मामले की जांच में सहयोग करते हैं, तो उन्हें 9 जून तक गिरफ्तार नहीं किया जाएगा।
राज्य सरकार के वकील वरिष्ठ वकील दारियस खंबाटा ने न्यायमूर्ति एस एस शिंदे और न्यायमूर्ति एन आर बोरकर की अवकाशकालीन पीठ के समक्ष यह बयान दिया. यह पीठ पुलिस निरीक्षक भीमराव घाडगे की शिकायत पर सिंह के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी खारिज करने का अनुरोध करने वाली याचिका की सुनवाई कर रही है. बहरहाल, खंबाटा ने अदालत से कहा कि सिंह को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी याचिका को लेकर किसी राहत का अनुरोध नहीं करना चाहिए.
सरकार के वकील वरिष्ठ वकील दारियस खंबाटा ने सोमवार को हाईकोर्ट से कहा कि परमबीर सिंह एक साथ दो घोड़ों पर सवार नहीं हो सकते और एक ही मामले में उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय दोनों से राहत नहीं मांग सकते।
पीठ ने राज्य सरकार का यह बयान स्वीकार कर लिया कि वह 9 जून तक सिंह को गिरफ्तार नहीं करेगी और उसने सिंह को न्यायालय के सामने इस मामले में राहत नहीं मांगने का निर्देश दिया. सिंह के वकील महेश जेठमलानी ने इस पर सहमति जताई. इसके बाद अदालत ने मामले की आगे की सुनवाई नौ जून तक के लिए स्थगित कर दी।
घाडगे के वकील सतीश तालेकर ने सिंह को गिरफ्तारी से अंतरिम राहत मिलने का विरोध किया, लेकिन अदालत ने कहा, ”इस मामले में प्राथमिकी घटना के पांच साल बाद दर्ज की गई। आपने (शिकायतकर्ता ने) इतना लंबा इंतजार किया… यदि आप दो और सप्ताह इंतजार कर लेते हैं, तो कुछ फर्क नहीं पड़ेगा. उन्हें (सिंह को) इतने साल गिरफ्तार नहीं किया गया. यदि उन्हें अब गिरफ्तार किया जाता है, तो इससे क्या होगा?” पीठ ने साथ ही कहा कि सिंह अब भी सेवा में हैं और सरकार के पुलिस बल के अधिकारी हैं.
हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट में दायर सिंह की याचिका में इस बयान पर अप्रसन्नता व्यक्त की कि उच्च न्यायालय मामले की सुनवाई नहीं कर रही, इसलिए उन्हें शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ा. न्यायमूर्ति शिंदे ने कहा, ”हमें दु:ख हुआ. आप यह कैसे कह सकते हैं कि मामलों की सुनवाई नहीं हो रही?” जेठमलानी ने माफी मांगी और कहा कि बयान गलत है. उन्होंने कहा, ”हम उच्चतम न्यायालय में दायर याचिका से यह बयान वापस लेंगे.”
बता दें आईपीएस परमबीर सिंह ने महाराष्ट्र के तत्कालीन गृह मंत्री और राकांपा के वरिष्ठ नेता अनिल देशमुख के खिलाफ भ्रष्टाचार और कदाचार के आरोप लगाए थे. इन आरोपों से उठे विवाद के कुछ दिन बाद देशमुख को मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था.
परमबीर सिंह ने शीर्ष अदालत में पिछले सप्ताह दायर नई याचिका में आरोप लगाया है कि देशमुख के खिलाफ शिकायत करने के बाद से उन्हें राज्य सरकार और उसके तंत्र की अनेक जांच का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने इन मामलों को महाराष्ट्र से बाहर हस्तांतरित करने और सीबीआई जैसी किसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराने की मांग की.