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कांग्रेस पहले भी एक्शन लेती तो आज इस बुरी स्थिति में नहीं होती, पार्टी के सभी पदों से हटाने पर बोले बिश्नोई

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कांग्रेस ने हरियाणा से राज्यसभा चुनाव में ‘क्रॉस वोटिंग’ करने को लेकर पार्टी के वरिष्ठ नेता कुलदीप बिश्नोई को कार्य समिति के सदस्य समेत पार्टी के सभी पदों से हटा दिया। सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस की ओर से हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष से बिश्नोई की सदस्यता खत्म करने की भी सिफारिश की जा सकती है। पार्टी की इस कार्रवाई पर सवाल खड़े करते हुए बिश्नोई ने कहा कि 2016 और अन्य कई मौकों पर अगर पार्टी इतना त्वरित कदम उठाती, तो उसकी आज यह हालत नहीं होती।

कार्रवाई के बाद बिश्नोई ने ट्वीट करके कहा कि अगर कांग्रेस 2016 और कई नाजुक मौके पर इसी तरह से त्वरित और सख्त कदम उठाती तो आज उसे इस बुरी स्थिति का सामना नहीं करना पड़ता। उन्होंने कहा, “कांग्रेस में कुछ नेताओं के लिए नियम हैं और कुछ के लिए अपवाद हैं। नियमों को चुनिंदा ढंग से लागू किया जाता है। अतीत में अनुशासनहीनता को बार-बार नजरअंदाज किया गया। मेरे मामले में, मैंने अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनी और नैतिकता के आधार पर कदम उठाया।”

‘फन कुचलने का हुनर आता है मुझे’

बिश्नोई ने हरियाणा के 2016 के उस राज्यसभा चुनाव की ओर से इशारा किया, जिसमें निर्दलीय उम्मीदवार सुभाष चंद्रा ने जीत दर्ज की थी, क्योंकि कांग्रेस के कई विधायकों ने गलत पेन से वोट किया था। हरियाणा से राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार अजय माकन की हार के बाद बिश्नोई ने ट्वीट किया था, ”फन कुचलने का हुनर आता है मुझे, सांप के खौफ से जंगल नहीं छोड़ा करते। सुप्रभात।” उन्होंने एक ट्विटर यूजर के उस ट्वीट को भी री-ट्वीट किया था जिसमें कहा गया है, ”सही वक्त पर लिया गया फैसला ही इंसान को औरों से अलग करता है।”

कांग्रेस के अजय माकन हारे

हरियाणा में कांग्रेस को झटका देते हुए भाजपा के कृष्ण लाल पंवार और पार्टी के समर्थन वाले निर्दलीय उम्मीदवार कार्तिकेय शर्मा ने हरियाणा से राज्यसभा की दो सीट पर जीत दर्ज की। चुनाव नियमों के उल्लंघन के आरोपों को लेकर मतगणना सात घंटे से अधिक देरी से शुरू हुई और देर रात दो बजे नतीजों की घोषणा की गई। निर्वाचन अधिकारी आरके नंदल ने बताया कि पंवार को 36 वोट मिले, जबकि शर्मा के खाते में प्रथम वरीयता के 23 मत गए और 6.6 वोट भाजपा से स्थानांतरित होकर आए, जिससे उनके मतों की कुल संख्या 29.6 हो गई। कांटे की टक्कर वाले इस मुकाबले में माकन को 29 वोट हासिल हुए, लेकिन दूसरी वरीयता का कोई वोट न होने के कारण वह हार गए।

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