सत्ता स्वीकार न करके शिंदे को सीएम बनाना। बड़े दिल का परिचय देते हुए महाराष्ट्र की जनता के दिलों में जगह बनाना। स्टेज पूरी तरह से सेट था। सबकुछ सही चल भी रहा था, लेकिन तभी एक बयान आता है और मानो ने सारे किए-कराए पर पानी फिर गया। कुछ ऐसी ही है महाराष्ट्र में भाजपा की कहानी, जहां प्रदेश पार्टी अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने भगवा दल के लिए स्थिति को काफी असहज कर दिया है। आइए जानते हैं पाटिल के इस बयान के बाद भाजपा में कैसी मची है खलबली और कैसे उसे होगा नुकसान?
कुछ ऐसा था गेमप्लान
महाराष्ट्र की 287 सदस्यों वाली विधानसभा में 106 विधायकों के साथ भाजपा सबसे बड़ी पार्टी है। ऐसे में बतौर सीएम शिंदे के नाम का ऐलान चौंकाने वाला रहा है। असल में इस ऐलान के साथ भाजपा कई संदेश देना चाहती थी। सबसे पहले तो उसे ठाकरे गुट के उस दावे को गलत ठहराना था कि भाजपा ने शिवसेना के मुख्यमंत्री को सत्ता से हटाया है। इसके साथ ही वह अपना बड़ा दिल दिखाकर आने वाले बीएमसी चुनावों में फायदा उठाने की फिराक में थी। लेकिन इसी बीच पाटिल के बयान ने भाजपा की स्क्रिप्ट को बुरी तरह से प्रभावित किया। उनके इस बयान के बाद माना जा रहा है कि शिंदे को सीएम बनाने से भाजपा के अंदरखाने हालात उतने अच्छे भी नहीं हैं, जिनका वरिष्ठ नेताओं द्वारा दिखाया जा रहा है।
कई वजहों से जरूरी हैं शिंदे
अब यह भी समझ लेते हैं कि आखिर पाटिल के बयान के बाद भाजपा इतनी तेजी से सफाई के मोड में क्यों आ गई। इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक भाजपा के अंदरूनी सोर्स ने कहा कि हमारी मुख्य चिंता यह है कि शिंदे फडणवीस गठबंधन ढंग से काम करता रहे। उन्होंने कहा कि हम इस तरह के गैर जिम्मेदार बयानों से अपने सहयोगियों की नाराजगी बर्दाश्त नहीं कर सकते। वहीं एक अन्य वरिष्ठ नेता के मुताबिक अगर महाविकास अघाड़ी गठबंधन लंबे समय तक कायम रह जाता तो महाराष्ट्र में भाजपा किनारे लग जाती। सियासी महत्वाकांक्षा की बात करें तो भाजपा को 2024 के लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र की 48 में से 42 लोकसभा सीटें जीतने की उम्मीद है। लेकिन उसे यह भी पता है कि शिंदे गुट के सहयोग के बिना उसके लिए यह संभव नहीं है। ऐसे में भाजपा के लिए शिंदे कितने अहम हैं, यह बताने की जरूरत नहीं।