राजस्थान के ‘पायलट’ बनना चाहते हैं सचिन, सोनिया गांधी से मिलकर खुलकर कही बात

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राजस्थान कांग्रेस के नेता सचिन पायलट ने सोनिया गांधी से मुलाकात की है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि सचिन पायलट ने राजस्थान का सीएम बनने की इच्छा जताई है। सूत्रों के हवाले कहा जा रहा है कि पायलट और सोनिया की इस मुलाकात में भविष्य में राज्य में पार्टी के अंदर सचिन पायलट की भूमिका क्या होगी इसपर भी चर्चा हुई है। खासकर तब जब कांग्रेस अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी कर रही है। 

अध्यक्ष तय करेंगी पायलट की भूमिका

यहां आपको याद दिला दें कि सचिन पायलट ने अंतिम बार पार्टी में राजस्थान कांग्रेस प्रमुख और डिप्टी सीएम का पद संभाला था। हालांकि साल 2020 में उन्होंने यह दोनों पद गंवा दिए थे। पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से पायलट की हुई इस अहम मुलाकात के बाद कहा जा रहा है कि राजस्थान कांग्रेस में आगे पायलट की भूमिका क्या होगी यानी उन्हें क्या जिम्मेदारी दी जाएगी यह पार्टी अध्यक्ष जल्द तय कर देंगी। हालांकि, एक आशंका यह भी जताई जा रही है कि सचिन पायलट को राजस्थान से बुला कर दिल्ली में बड़ा रोल दिया जा सकता है।

सीएम गहलोत ने भी की थी सोनिया से मुलाकात

इससे पहले बुधवार को सीएम गहलोत ने सोनिया गांधी से उनके आवास पर मुलाकात की थी। कयास यह भी लगाए जा रहे हैं कि विधानसभा चुनाव 2023 से पहले कांग्रेस आलाकमान सचिन पायलट को प्रदेश में बड़ी जिम्मेदारी दे सकता है। कुछ राजनीतिक विशलेषक यह भी अनुमान जता रहे हैं कि पायलट फिर से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जा सकते हैं। विधानसभा चुनाव 2018 पायलट के नेतृत्व में ही लड़ा गया था। लेकिन पायलट सीएम की रेस में पिछड़ गए और अशोक गहलोत राज्य के मुख्यमंत्री बन गए। 

कई दिग्गजों ने छोड़ा राहुल का साथ

चार राज्यों में कांग्रेस की करारी शिकस्त के बाद अब पार्टी की नजर राजस्थान में होने वाले चुनाव पर है। सचिन पायलट को राहुल गांधी का बेहद करीबी कहा जाता है। पिछले कुछ सालों में राहुल के करीबियों में शुमार ज्योतिरादित्य सिंधिया. जितिन प्रसाद और आरपीएन सिंह जैसे दिग्गजों ने राहुल का साथ छोड़ दिया लेकिन पायलट अब भी राहुल के साथ हैं।

बताया जाता है कि जब साल 2018 में जब राजस्थान विधानसभा चुनाव जीत कर कांग्रेस सत्ता में लौटी थी तब सचिन पायलट ने सीएम बनने की इच्छा जताई थी। लेकिन उस वक्त उनपर दबाव बनाया गया कि वो उप मुख्यमंत्री पद से ही संतोष करें। दो साल बाद सचिन पायलट के समर्थकों ने पार्टी में बगावत का रास्ता चुन लिया और फिर पार्टी के अंदर घमासान मच गया था। जो लंबे समय तक चला था। 

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