तालिबान के चार महीने के शासन में ही अफगानिस्तान बेहद बदहाली और तंगहाली के दौर में पहुंच गया है। आलम यह है कि दो दशक से युद्धग्रस्त रहा देश अब भुखमरी की कगार पर पहुंच गया है। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ सहायता समूहों ने कहा है कि सर्दी के इस मौसम में भूख की वजह से 10 लाख बच्चों की जान जा सकती है। अफगानिस्तान में दशकों से कुपोषण की समस्या रही है और हाल के महीनों में भूख का संकट गंभीर हो गया है।
यूनाइडेट नेशंस वर्ल्ड फूड प्रोग्राम और फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन के विश्लेषण के मुताबिक, इस सर्दी 2.28 करोड़ लोग (आधी से अधिक आबादी) को जानलेवा स्तर की खाद्य असुरक्षा का सामना करना पड़ सकता है। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि इनमें से करीब 87 लाख लोग अकाल के करीब है, जोकि खाद्य संकट का सबसे खराब चरण होता है।
राजनीति को मानवीय अनिवार्यता से अलग करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए वर्ल्ड फूड प्रोग्राम की अफगानिस्तान में कंट्री डायरेक्टर मैरी-एलेन मैकग्रॉर्टी ने कहा कि लाखों महिलाएं, बच्चे और पुरुष मौजूदा संकट में निर्दोष हैं। सर्दी के बढ़ने के साथ मानवीय संगठनों ने चेतावनी दी है कि 10 लाख से अधिक बच्चों की जान जा सकती है। द न्यू यॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, संकट संभावित रूप से नई तालिबान सरकार और संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए हानिकारक है, जो आर्थिक प्रतिबंधों को कम करने के लिए बढ़ते दबाव का सामना कर रहा है। अफगानिस्तान में महीनों से अधिकतर लोगों की आमदनी बंद है, भले ही वे मजदूर हों या डॉक्टर, टीचर या अन्य किसी काम को करने वाले।
खाने-पीने की चीजों और अन्य मूलभूत वस्तुओं की कीमत बहुत अधिक होने की वजह से ये कई परिवारों के पहुंच से बाहर हैं। अफगानिस्तान के अस्पतालों के कुपोषण वार्ड कमजोर बच्चों और खून की कमी वाली माओं से भरे हुए हैं। तालिबान के कब्जे के बाद से अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था धाराशायी हो चुकी है और अधिकतर देशों ने अफगानिस्तान को सहायता भेजनी बंद कर दी है। तालिबान ने 15 अगस्त को ताकत के दम पर अफगानिस्तान पर कब्जा जमा लिया था।