कोरोना महामारी की चुनौतियों के बीच चीन की अर्थव्यवस्था 2021 में 8.1% की दर से बढ़ी। चीनी अर्थव्यवस्था अब करीब 18,000 अरब अमेरिकी डॉलर (18 ट्रिलियन डॉलर) की हो गई। राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो (एनबीएस) के अनुसार चीन की अर्थव्यवस्था में पिछले साल की चौथी तिमाही में 4% की वृद्धि हुई, जो तीसरी तिमाही के मुकाबले कम है। तीसरी तिमाही में वृद्धि दर 4.9% थी। सरकार ने 2021 के लिए 6% वृद्धि दर का लक्ष्य रखा था, हालांकि इस दौरान चीन ने 8.1% की दर से वृद्धि हासिल की।
चीन की सरकारी संवाद एजेंसी शिन्हुआ ने कहा कि ये वृद्धि महामारी से लड़ाई और जटिल विदेश व्यापार दशाओं के बीच हासिल की गई। एनबीएस ने सोमवार को कहा कि चीन की जीडीपी सालाना आधार पर 8.1% बढ़कर 1,14,370 अरब युआन (करीब 18,000 अरब अमेरिकी डॉलर) हो गई है। एनबीएस के आंकड़ों से पता चलता है कि वृद्धि दर 6% के सरकारी लक्ष्य से काफी अधिक है। चीन में इससे पिछले दो साल की औसत वृद्धि दर 5.1% थी।
डिस्पोजेबल इनकम पिछले साल 9.1% से बढ़ी
नागरिकों की प्रति व्यक्ति डिस्पोजेबल आय पिछले साल 9.1% बढ़कर 35,128 युआन हो गई। रिपोर्ट के मुताबिक, कमजोर खपत के आंकड़ों से आउटलुक प्रभावित हुआ। दिसंबर में खुदरा बिक्री में एक साल पहले की तुलना में केवल 1.7% की वृद्धि दर्ज हुई। अगस्त 2020 के बाद यह सबसे धीमी गति रही। विश्लेषकों ने नवंबर में इसके 3.9% बढ़ने के बाद 3.7% की बढ़ोतरी की उम्मीद की थी।
इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन में लगातार बढ़ोतरी
एनबीएस के मुताबिक, इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन में लगातार बढ़ोतरी देखी गई। हाई-टेक मैन्युफैक्चरिंग और इक्विपमेंट्स मैन्युफैक्चरिंग में तेजी से विकास देखने के मिला। चीन की इंडस्ट्रियल एंटरप्राइजेज में पिछले साल 9.6% की बढ़ोतरी हुई। सेक्टर्स की बात करें तो माइनिंग में 5.3%, मैन्युफैक्चरिंग में 9.8% और बिजली, थर्मल पॉवर, गैस व पानी के प्रोडक्शन एंड सप्लाई में 11.4% की वृद्धि हुई। हाई-टेक मैन्युफैक्चरिंग में 18.2% और इक्विपमेंट्स मैन्युफैक्चरिंग 12.9% से आगे बढ़ी।
चीन ने अर्थव्यवस्था की रिकवरी को बनाए रखा
एनबीएस के मुताबिक, सामान्य तौर पर 2021 में चीन ने राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की निरंतर और स्थिर रिकवरी को बनाए रखा। साथ ही दुनिया में आर्थिक विकास और महामारी की रोकथाम व नियंत्रण में आगे रहा। इस तरह चीन आर्थिक विकास को लेकर तय टारगेट को हासिल करने सफल रहा। एनबीएस ने चेतावनी जारी करते हुए कहा, “हमें यह पता होना चाहिए कि बाहरी वातावरण अधिक जटिल और अनिश्चित है। साथ ही घरेलू अर्थव्यवस्था मांग में कमी, सप्लाई शॉक और कमजोर उम्मीदों का ट्रिपल दबाव है।”