स्लामाबाद, 20 सितंबर । इस्लामाबाद की एक विशेष अदालत ने ईशनिंदा केस में एक ईसाई महिला शौगाता करन को मौत की सजा सुनाई है। साल 2020 के सितंबर माह में एक व्हाट्स ऐप ग्रुप में पैगंबर के बारे में अपमानजनक कंटेंट साझा करने के आरोप में शौगाता के खिलाफ ईशनिंदा कानून के तहत 29 जुलाई, 2021 को मामला दर्ज किया गया था। शिराज अहमद ने इस महिला के खिलाफ साइबर अपराध शाखा में प्राथमिकी दर्ज कराई थी।
डॉन अखबार की खबर के अनुसार इस्लामाबाद की विशेष अदालत के न्यायाधीश अफजल माजुका ने कल (गुरुवार) सुनवाई के बाद शौगाता करन को पाकिस्तान दंड संहिता की धारा 295 सी के तहत दोषी ठहराया। इसमें मौत की सजा का प्रावधान है। शौगाता पर तीन लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। इसके अलावा अदालत ने इस महिला को पाकिस्तान इलेक्ट्रॉनिक अपराध अधिनियम (पीईसीए) की धारा 11 के तहत सात साल की कैद और एक लाख रुपये का जुर्माना की भी सजा सुनाई है।
अदालत ने आदेश में कहा कि दोषी को फैसले के 30 दिन के भीतर हाई कोर्ट में अपील दायर करने का अधिकार है। जब तक हाई कोर्ट इस फैसले को मंजूरी नहीं दे देता, तब तक सजा पर अमल नहीं किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि शौगाता दूसरी ईसाई महिला है, जिसे पैगंबर और इस्लाम मजहब का अपमान करने के मामले में मौत की सजा सुनाई गई है। इससे पहले ईशनिंदा के आरोप में मौत की सजा पाने वाली आसिया बीबी को आठ साल तक जेल में रखा गया लेकिन पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश आसिफ सईद खोसा की अध्यक्षता वाली पीठ ने अक्टूबर 2018 में उसे बरी कर दिया। इसके बाद वह पूरे परिवार के साथ कनाडा चली गई।
और यह भी… ईशनिंदा के आरोपित अली को पुलिस ने मार डाला, परिवार ने माफ किया
डॉन अखबार की इस खबर में यह उल्लेख किया गया है कि कुछ समय पहले ईशनिंदा के आरोपित अब्दुल अली उर्फ शाखी की पुलिस हिरासत में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। अब उसके बेटों मोहम्मद उस्मान और मोहम्मद अली ने इसके लिए जिम्मेदार पुलिस अधिकारी को माफ कर दिया है। दोनों ने क्वेटा में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में नूरजई जनजाति के प्रमुख हाजी फैजुल्लाह नूरजई के साथ अली के ईशनिंदा के कृत्य की निंदा की। अली के दो भाइयों खैर मोहम्मद और बोर मोहम्मद ने भी उसके कृत्यों की निंदा की। उस्मान ने कहा कि परिवार और कबीले का अब्दुल अली के ईशनिंदा के घृणित कृत्य से कोई लेना-देना नहीं है। अल्लाह के नाम पर पुलिस अधिकारी साद मोहम्मद सरहदी को बिना शर्त माफ कर दिया है। उस्मान और वली ने यह भी घोषणा की कि वे पुलिस अधिकारी के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं करेंगे। अली को पिछले हफ्ते कथित तौर पर ईशनिंदा वाली टिप्पणी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
अस्सी के दशक से लागू है ईशनिंदा कानून
पाकिस्तान में 1980 के दशक में पूर्व सैन्य शासक जियाउल हक ने ईशनिंदा कानून लागू किया था। कहा जाता है कि ईशनिंदा के आरोप में पकड़े गए लोगों को अकसर कट्टरपंथी निशाना बनाते हैं। थिंक टैंक सेंटर फॉर सोशल जस्टिस के अनुसार पाकिस्तान में 1987 से अब तक लगभग तीन हजार लोगों पर ईशनिंदा का आरोप लगाया जा चुका है। इस साल जनवरी से अब तक मुल्क में ईशनिंदा के आरोप में कम से कम सात लोगों को भीड़ ने मार डाला। वर्ष 1994 से 2023 के बीच ईशनिंदा के आरोप में भीड़ के हमलों में कुल 94 लोग मारे गए।