यूक्रेन की राजधानी कीव में एक के एक बाद एक दूतावास बंद हो रहे हैं। भारत समेत दुनिया भर के देशों ने अपने नागरिकों के लिए यूक्रेन से निकलने की एडवाइजरी जारी कर दी है। फ्लाइट्स कैंसिल हो रही हैं और बीमा कंपनियां उन्हें कवरेज देने से पीछे हट रही हैं। बीते कुछ सप्ताह में ही यूक्रेन में करोड़ों डॉलर का निवेश फंस चुका है। इस तरह रूस की ओर से यूक्रेन पर बिना कोई गोली चलाए हाइब्रिड वारफेयर के जरिए ही हमला किया जा रहा है। रूसी सैनिकों ने यूक्रेन को कई तरफ से घेर रखा है। करीब डेढ़ लाख सैनिकों का सीमा पर जमावड़ा है।
कारोबारी दहशत में, बिजनेस प्लान थमे, निवेश को कोई तैयार नहीं
यूक्रेन में बड़े या छोटे किसी भी तरह के कारोबारी अपने बिजनेस को लेकर अनिश्चितता की स्थिति में हैं। अगले कुछ सप्ताहों में क्या होगा, इसका कोई ठिकाना नहीं है और इसके चलते कारोबारी पसोपेश की स्थिति में है। युद्ध की आशंका के चलते अर्थव्यवस्था लुढ़क रही है। रूसी सेनाओं को भेजने से पहले ही पूर्वी यूक्रेन के दो इलाकों को व्लादिमीर पुतिन ने स्वतंत्र राज्यों के तौर पर मान्यता दे दी है। इस तरह रूस ने यूक्रेन के खिलाफ अघोषित युद्ध छेड़ दिया है, जिसे मिलिट्री साइंस की भाषा में हाइब्रिड वारफेयर के नाम से जाना जाता है।
कंपनियों के सीईओ बोले- बिना युद्ध के ही हम संकट झेल रहे
पोर्ट ऑपरेटर कंपनी TIS ग्रुप के सीईओ आंद्रे स्टैवनित्जर ने कहा, ‘हम पहले से ही युद्ध की आशंका का संकट झेल रहे हैं। आखिर पूरी दुनिया को युद्ध के खतरे में कौन ढकेल रहा है।’ यूक्रेन की अर्थव्यवस्था में अस्थिरता वह सबसे बड़ा फैक्टर है, जिसके जरिए रूस उसे अंदर से ही कमजोर करने में जुटा है और इस विधा का नाम हाइब्रिड वारफेयर है। यही नहीं इसके हाइब्रिड वारफेयर के ही एक और रूप साइबर अटैक के जरिए भी रूस की कोशिश यूक्रेन को हिलाने की है। इसके अलावा यूक्रेन को तीन तरफ से घेर कर सैनिकों को तैनात कर ही रखा है। भले ही अब तक युद्ध नहीं छिड़ा है, लेकिन सैनिकों की तैनाती से जो भय का माहौल बना है, उसने यूक्रेन की इकॉनमी को हिला रखा है।