अमेरिका ने बुधवार को इजरायल के एनएसओ ग्रुप को काली सूची में डाल दिया है। यह वहीं ग्रुप है जिसने पेगासस स्पाईवेयर बनाया था। जासूसी कांड को लेकर इसकी काफी चर्चा भी हुई थी। इससे पहले एक मीडिया कंसोर्टियम ने अपनी जांच में पाया था कि पेगासस का इस्तेमाल पूरे विश्व में अलग-अलग राजनेताओं, व्यापारियों, मानवाधिकार से जुड़े कार्यकर्ताओं तथा अन्य बड़ी हस्तियों के फोन हैक करने और उनकी जासूसी में किया गया था।
कहा गया था कि स्मार्टफोन में पेगासस के आने के बाद यह एक पॉकेट स्पाइंग डिवाइस बन गया था। इसके जरिए यूजर्स के फोन में पड़े मैसेज को आसानी से पढ़ा जा सकता था। इसके अलावा उनके लोकेशन का पता और तथा फोन में पहले से पड़ी तस्वीरें भी देखी जा सकती थीं। इतना ही नहीं इसके जरिए बिना यूजर्स को बताए उनके मोबाइल फोन का कैमरा भी ऑन किया जा सकता था।
एनएसओ के अलावा यूएस ने तीन अन्य कंपनियों को भी ब्लैकलिस्ट कर दिया है। वाशिंगटन ने इजरायल की कंपनी कैंडिरू, सिंगापुर स्थित कंप्यूटर सिक्योरिटी इनिशिएटिव कंसल्टेंसी पीटीई (COSEINC) और रूसी फर्म पॉजिटिव टेक्नोलॉजीज को भी निशाना बनाया। प्रतिबंधित सूची में शामिल होने के बाद अमेरिका में इन कंपनियों से कुछ भी खरीद नहीं किया जा सकता है।
अमेरिकी वाणिज्य विभाग ने एक बयान में कहा, “इन उपकरणों ने विदेशी सरकारों को अंतरराष्ट्रीय दमन का संचालन करने में भी सक्षम बनाया है, जो कि सत्तावादी सरकारों द्वारा असंतुष्टों, पत्रकारों और कार्यकर्ताओं को उनकी संप्रभु सीमाओं के बाहर निशाना बनाने की प्रथा है।” विभाग ने यह भी दावा किया कि ये कंपनियां अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा या विदेश नीति के हितों के विपरीत गतिविधियों में शामिल थीं।
इजरायल के पेगासस स्पाईवेयर के जरिए भारत में भी कई नेताओं, पत्रकारों और सार्वजनिक जीवन से जुड़े लोगों का फोन हैकिंग का दावा किया गया था। रिपोर्ट में 150 से ज्यादा लोगों के फोन हैक करने की बात कही गई थी। वहीं, भारत में कम से कम 38 लोगों की निगरानी की बात कही गई। हालांकि, ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कभारत सरकार र दिया था।