तालिबान लड़ाकों ने रविवार को काबुल में अमेरिकी निर्मित बख्तरबंद वाहनों और रूसी हेलीकॉप्टरों के साथ एक मिलिट्री परेड की। इसके जरिए तालिबान ने एक विद्रोही बल से एक देश की स्थायी-नियमित सेना में हो रहे उनके परिवर्तन को दिखाने की कोशिश की। तालिबान करीब दो दशक तक विद्रोही गुट की तरह संचालित होता रहा लेकिन इसी साल अगस्त माह में अमेरिकी सेना की वापसी के बाद पीछे छोटे गए हथियारों के जखीरे का उसने जमकर इस्तेमाल किया।
रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता इनायतुल्लाह ख्वाज़मी ने कहा कि यह परेड 250 नए प्रशिक्षित सैनिकों के स्नातक स्तर तक की पढ़ाई पूरी करने से जुड़ी थी। इस अभ्यास में दर्जनों अमेरिकी निर्मित M117 बख्तरबंद सुरक्षा वाहनों को धीमी गति से काबुल की मुख्य सड़क पर घुमाया गया। इस दौरान MI-17 हेलीकॉप्टन आसमान में उड़ान भर रहे थे। बहुत से सैनिकों के पास अमेरिका की बनाई एम-4 असॉल्ट राइफल भी देखने को मिली।
तालिबान बलों द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे अधिकांश हथियार और उपकरण वॉशिंगटन की तरफ से अमेरिकी समर्थित काबुल की सरकार को दिए गए थे ताकि अफगान की सेना को तालिबान के खिलाफ जंग के लिए तैयार किया जा सके। हालांकि, ये सेना अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी के देश छोड़ने के बाद ही पस्त हो गई और तालिबान ने एक बार फिर से सत्ता पर राज पा लिया।
तालिबान अधिकारियों ने कहा है कि पूर्व अफगान सेना के पायलटों, यांत्रिकी और अन्य विशेषज्ञों को नई सेना में शामिल किया जाएगा। इस सेना के जवानों ने अब पारंपरिक अफगान कपड़ों की जगह पारंपरिक सैन्य वर्दी भी पहनना शुरू कर दिया है।
बीते साल के आई स्पेशल इंस्पेक्टर जनरल फॉर अफगानिस्तान रिकन्सट्रक्शन (Sigar) की रिपोर्ट में बताया गया था कि साल 2002 से 2017 के बीच अमेरिकी सरकार ने अफगान सरकार को करीब 28 अरब डॉलर से ज्यादा के हथियार, गोला-बारूद, वाहन, नाइट विज़न डिवाइसेज, एयरक्राफ्ट और सर्विलांस सिस्टम जैसे रक्षा उपकरण मुहैया कराए। अमेरिका के अफगानिस्तान छोड़ने के बाद कई विमान वहीं छूटे, हालांकि, अभी तक यह स्पष्ट नहीं कि इनमें से कितने काम के हैं।
अमेरिकी सैनिकों ने अफगानिस्तान छोड़ने से पहले करीब 70 विमान, दर्जनों बख्तरबंद वाहनों को नष्ट किया था और एयर डिफेंस सिस्टम को भी डिसेबलकर दिया था।