नई दिल्ली – विदेश में पढ़ाई कर रहे भारत के छात्र-छात्रों के लिए महंगी एजुकेशन के साथ-साथ रहना भी और महंगा होता जा रहा है। चंद वर्षों में खासतौर पर किराया दोगुना हो गया है। कोविड के बाद इसमें और तेजी आई है। कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, यूके, अमेरिका समेत कुछ यूरोपियन देशों में स्टूडेंट्स के लिए किफायती घर पाना नामुमकिन-सा होता जा रहा है। स्टूडेंट्स का कहना है कि पढ़ाई के लिए अगर स्कॉलरशिप मिल भी जाए, तब भी किराए-खाने-पीने का खर्चा इतना हो गया है कि इसके लिए भी परिवारों को मोटा लोन लेना पड़ रहा है।
पिछले साल 75 हजार भारतीय स्टूडेंट्स ऑस्ट्रेलिया गए और यह संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है। कनाडा में 2022 में यह संख्या 2.15 लाख से ऊपर थी, हालांकि हाउसिंग संकट की वजह से देश स्टूडेंट परमिट में कटौती कर रहा है। इनके अलावा, ऑस्ट्रेलिया में डिमांड और सप्लाई का अनुपात कुछ वर्षों में बिगड़ने लगा है और इस वजह से स्टूडेंट्स के लिए वहां रहना महंगा होता जा रहा है। ऑस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी खासतौर पर एशिया के स्टूडेंट्स के टारगेट पर रहती हैं। पिछले एक-दो साल में कुछ यूनिवर्सिटी में तो एनरॉलमेंट 40 प्रतिशत से भी ज्यादा है।