पाकिस्तान में कट्टरपंथियों ने जिस मंदिर में लगा दी थी आग, पुननिर्माण के बाद खुद चीफ जस्टिस ने किया उसका उद्घाटन

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पाकिस्तान में जिस दशकों पुराने हिंदू मंदिर में इस्लामिक कट्टरपंथियो ने तोड़फोड़ कर आग लगा दी थी, अब उसका पुननिर्माण कर फिर से भक्तों के लिए खोल दिया गया है। खुद पाकिस्तान के चीफ जस्टिस गुलजार अहमद ने पुननिर्माण किए गए इस हिंदू मंदिर का उद्घाटन किया है। बताया जाता है कि इस मंदिर का निर्माण लगभग 100 साल पहले किया गया था। तब से इसमें हिंदू भक्त पूजा-अर्चना करते आ रहे हैं।

इस बीच साल 2010 में पाकिस्तान के कुछ स्थानीय कट्टरपंथियों ने खैबर पख्तूनख्वा के कराक जिले के तेरी गांव में सदियों पुराने इस श्री परम हंस जी महाराज मंदिर में तोड़फोड़ करके आग लगा दी थी। घटना के बाद चीफ जस्टिस ने इस मंदिर के पुननिर्माण का आदेश दिया था। मंदिर में तोड़फोड़ की घटना के बाद चीफ जस्टिस अहमद ने अधिकारियों को मंदिर के पुननिर्माण का आदेश तो दिया ही था साथ में हमला करने वालों से नुकसान की भरपाई के लिए पैसा वसूली का भी निर्देश दिया था। मंदिर तोड़े जाने को लेकर पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी शर्मिंदगी झेलनी पड़ी थी।

सुप्रीम कोर्ट भविष्य में भी अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा जारी रखेगा

एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक सोमवार को पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश अहमद ने दिवाली त्योहार मनाने और हिंदू समुदाय के सदस्यों के साथ एकजुटता व्यक्त करने के लिए पुनर्निर्मित मंदिर में आयोजित एक भव्य समारोह में शामिल हुए। रिपोर्ट के मुताबिक उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए, मुख्य न्यायाधीश अहमद ने कहा कि पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय ने हमेशा अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा के लिए कदम उठाए हैं और वह भविष्य में भी ऐसा करना जारी रखेगा। 

पाकिस्तान में हिंदुओं को भी बाकी लोगों जैसे ही है समान अधिकार

उन्होंने कहा कि संविधान के अनुसार, हिंदुओं को पाकिस्तान में अन्य धर्मों के लोगों के समान जैसा ही समान अधिकार प्राप्त है। अल्पसंख्यक समुदायों को धार्मिक स्वतंत्रता की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आश्वासन देते हुए चीफ जस्टिस ने कहा कि किसी को भी किसी अन्य समुदाय के धार्मिक पूजा स्थल को नष्ट करने या नुकसान पहुंचाना के अधिकार नहीं है। समुदाय ने मुख्य न्यायाधीश को पगड़ी और डिजिटल कुरान भेंट की। उन्हें इस कार्यक्रम में पाकिस्तान हिंदू परिषद द्वारा आमंत्रित किया गया था, जिसने सिंध और बलूचिस्तान प्रांतों के तीर्थयात्रियों की भी मेजबानी की थी।

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