ट्रंप ने फ़्लोरिडा में घोषणा की, “बहुत जल्द हम बदलाव की घोषणा करने जा रहे हैं…क्योंकि वो हमारा ही है… हम मैक्सिको की खाड़ी का नाम बदलकर अमेरिका की खाड़ी करने जा रहे हैं.”
उन्होंने अपने प्रस्ताव के बारे में अधिक जानकारी दिए बिना मैक्सिको के बारे में बात करना जारी रखा, “लाखों लोगों को अमेरिका में घुसने की अनुमति देना बंद करना चाहिए.”
बाद में नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ने मैक्सिको और कनाडा पर टैरिफ़ लगाने की अपनी धमकी भी दोहराई.
ट्रंप ने यह नहीं बताया कि वह मैक्सिको की खाड़ी का नाम कैसे और कब बदलेंगे, लेकिन उनकी टिप्पणियों के तुरंत बाद, रिपब्लिकन सांसद मार्जोरी टेलर ग्रीन ने कहा कि वह मैक्सिको की खाड़ी का नाम बदलने के लिए जल्दी ही एक विधेयक पेश करेंगी.
टेलर ग्रीन ने एक्स पर लिखा, “राष्ट्रपति ट्रंप के दूसरे कार्यकाल की शानदार शुरुआत हुई है.”
लेकिन क्या किसी अंतरराष्ट्रीय महासागर, सागर या खाड़ी का नाम बदलना संभव है?
ट्रंप को मैक्सिको की खाड़ी का नाम बदलने के लिए मैक्सिको और क्यूबा से मंजूरी लेना लाज़िमी होगा.
मैक्सिको की राष्ट्रपति क्लाउडिया शीनबाम ने बुधवार को ट्ंप के प्रस्ताव का जवाब देते हुए कहा, “हम मैक्सिको-अमेरिका की खाड़ी क्यों नहीं कहते? यह सुनने में अच्छा लग रहा है.”
लेकिन मैक्सिको के अर्थव्यवस्था मंत्री मार्सेलो एबरार्ड ने कहा कि इस सागर को ‘मैक्सिको की खाड़ी ही कहा जाता रहेगा.”
एब्रार्ड ने घोषणा की, “हम हर दिन ऐसे बयानों का जवाब नहीं दे सकते.अगर हम अगले 30 वर्षों की बात करें तो इसे मैक्सिको की खाड़ी ही कहा जाता रहेगा. हम नाम बदलने की बहस में पड़ना ही नहीं चाहते. हम तो बस दोनों देशों के बीच संबंधों को पटरी पर रखना चाहते हैं.”
खाड़ी का नाम बदलने के लिए ट्रंप को अंतरराष्ट्रीय हाइड्रोग्राफिक संगठन, समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन और भौगोलिक नामों पर संयुक्त राष्ट्र विशेषज्ञों के समूह (UNGEGN) सहित कई अंतरराष्ट्रीय निकायों से मूल्यांकन और अनुमोदन की भी ज़रूरत होगी.
इसके अलावा एक नए नाम का अर्थ है कि तीनों देशों को अपने आधिकारिक मानचित्रों और कानूनों में बदलाव करना होगा ताकि नए नाम की कानूनी वैधता स्थापित हो सके.
नाम बदलने को लेकर मैक्सिको और क्यूबा के विरोध के बावजूद डोनाल्ड ट्रंप चाहें तो अपनी इच्छा पूरी कर सकते हैं. लेकिन इस सूरत में बाक़ी देश इस नए नाम को मान्यता नहीं देंगे.
अमेरिका में सरकार के पास जगहों का नाम बदलने की कानूनी व्यवस्था है. इसके लिए यूनाइटेड स्टेट्स बोर्ड ऑन ज्योग्राफिक नेम्स (बीजीएन) की एक सरकारी संस्था है.
बोर्ड अमेरिका में भौगोलिक नामों पर अंतिम फ़ैसला लेता है.
बोर्ड भौगोलिक स्थानों के नाम तय नहीं करता. लेकिन यह अमेरिका की संघीय एजेंसियों, राज्य या स्थानीय सरकारों और जनता द्वारा प्रस्तावित नए नामों को मंजूरी देने या न देने पर अंतिम फ़ैसला करता है.
अगर ट्रंप की मंशा पूरी हुई तो तो वे किसी स्थान के नाम में परिवर्तन करने वाले पहले अमेरिकी राष्ट्रपति नहीं होंगे.
साल 2015 में बीजीएन ने उत्तरी अमेरिका की सबसे ऊंची चोटी माउंट मैकेनली का नाम बदलकर माउंट डेनाली करने के तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा के अनुरोध को मंजूरी दी थी.
सदियों से अलास्का के मूल निवासी इसे माउंट डेनाली ही कहते आए थे.
इस पर्वत का नाम ओहायो के एक सियासतदान विलियम मैकिनले के सम्मान में रखा गया था. मैकिनले 1896 में अमेरिकी राष्ट्रपति चुने गए थे. उनके दूसरे कार्यकाल के सिर्फ छह महीने बाद उनकी हत्या कर दी गई थी.
मैककिनले ने कभी अलास्का में कदम नहीं रखा था. बराक ओबामा ने कहा कि वो इस चोटी का नाम इसलिए बदल रहे हैं ताकि नेटिव इंडियन्स के साथ संबंधों में सुधार आ सके.
वैसे ट्रंप ये भी कह चुके हैं कि वह माउंट डेनाली के नाम दोबारा माउंट मैककिनले कर देंगे.
अगर वाकई बीजीएन ने मैक्सिको की खाड़ी का नाम बदलने के ट्रंप के संभावित अनुरोध को मंजूरी दे दी तो यह पहली बार नहीं होगा जब मैक्सिको और अमेरिका के बीच नामों को लेकर मतभेद हुआ हो.
अमेरिकी राज्य टेक्सास और मैक्सिको के चिहुआहुआ, कोहुइला, नुएवो लियोन और तमाउलिपास राज्यों के बीच सरहद का काम करने वाली नदी को दोनों देश अलग-अलग नाम से पुकारते हैं.
अमेरिका इसे रियो ग्रांडे कहता है और मैक्सिको रियो ब्रावो.