कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन को लेकर दुनियाभर में चिंता बनी हुई है साथ ही साथ इसको लेकर कई जानकारियां भी लगातार सामने आ रही हैं। इसी बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने बताया है कि ओमिक्रॉन कोरोना वायरस के डेल्टा वैरिएंट की तुलना में अधिक तेज है और यह वैक्सीन के प्रभाव को कम करता है। हालांकि इसके साथ यह भी बताया गया कि शुरुआती आंकड़ों में यह पाया गया है कि ओमिक्रॉन वैरिएंट कम गंभीर लक्षण पैदा करता है।
दरअसल, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने रविवार को अपने एक संक्षिप्त ब्रीफ में बताया है कि शुरुआती सबूत बताते हैं कि ओमिक्रॉन ‘संक्रमण और संचरण के खिलाफ वैक्सीन की प्रभावशीलता में कमी’ का कारण बनता है। लेकिन शुरूआती आंकड़े ये दर्शाते हैं कि कोरोना के डेल्टा और अन्य दूसरे वैरिएंट्स की तुलना में यह वैरिएंट लोगों को ज्यादा बीमार नहीं करता है और लक्षण के साथ-साथ संक्रमण भी कम खतरनाक पाया गया है।
इससे पहले भी विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक अधिकारी ने बताया था कि ओमिक्रॉन अधिक गंभीर बीमारी का कारण नहीं बनता है। हालांकि तेजी से म्यूटेट कर रहे इस वैरिएंट को लेकर बहुत सी जानकारी सामने आनी बाकी है। लेकिन इस बात के कोई संकेत नहीं मिले हैं कि कोरोना की मौजूदा सभी वैक्सीन को ओमिक्रॉन मात दे सकता है। फिलहाल ओमिक्रॉन को लेकर जो भी संकेत मिल रहे हैं, उसे लेकर सावधान रहने की जरूरत है।
बता दें कि दक्षिण अफ्रीका में सबसे पहले ओमिक्रॉन का पता चला था। उसके शुरूआती आंकड़ों के अध्ययन से यह पता चलता है कि कोरोना की वैक्सीन कुछ हद तक सुरक्षा प्रदान करने में सक्षम है लेकिन ताजे अपडेट के बाद ओमिक्रॉन पर वैक्सीन के असर को लेकर एक बार फिर से चर्चा शुरू हो गई है कि क्या वैक्सीन का इस नए वैरिएंट पर असर होगा या नहीं होगा।
उधर ओमिक्रॉन के खिलाफ अपनी वैक्सीन के प्रभावीकरण को लेकर बायोएनटेक और फाइजर निर्माताओं ने हाल ही में एक आधिकारिक बयान में कहा कि वैक्सीन की दोनों खुराक एंटीबॉडी को थोड़ा कम विकसित करती हैं। लेकिन तीसरी डोज (बूस्टर शॉट) से व्यक्ति के शरीर में एंटीबॉडी 25 प्रतिशत और बढ़ जाता है। कुल मिलाकर वैक्सीन के तीसरी डोज लगाते ही शरीर में ओमिक्रॉन से लड़ने के लिए एंटीबॉडी सक्षम हो जाती है।