पश्चिमी देश यूक्रेन को नो-फ्लाई जोन क्यों नहीं बना रहे, समझिए पूरी कहानी

0

यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की ने रूसी सैन्य विमानों से खतरे का मुकाबला करने के लिए नाटो से यूक्रेन पर नो-फ्लाई जोन लागू करने की अपील की है। लेकिन अभी के लिए नाटो नेताओं ने कहा है कि वह इसके लिए तैयार नहीं हैं। रिपोर्ट्स बताती हैं कि उन्हें डर है कि ऐसा करने से रूस के साथ व्यापक युद्ध में घसीटा का सकता है।

है नो-फ्लाई जोन का कांसेप्ट?

नो-फ्लाई जोन एक उल्लेखित क्षेत्र में विमान पर बैन लगाने का आदेश है। अधिकतर सरकारी ऑफिस, सावर्जनिक स्थल, धार्मिक और सांस्कृतिक स्थल पर सुरक्षा कारणों से नो-फ्लाई जोन लगाए जाते हैं। इनका सबसे विवादास्पद इस्तेमाल तब होता है जब सैन्य विमानों को शत्रुतापूर्ण कार्यों में शामिल होने से रोकने के लिए संघर्ष के दौरान उनका इस्तेमाल किया जाता है।

नो-फ्लाई जोन देशों को बड़ी संख्या में जमीनी सैनिकों के बिना कार्रवाई करने की इजाजत दे सकते हैं। ये अपेक्षाकृत कम संख्या में विमानों और सहायक बुनियादी ढांचे पर निर्भर है। लेकिन इस तरह के प्रतिबंधों को लागू करने में फोर्स का एक महत्वपूर्ण इस्तेमाल भी शामिल हो सकता है, जिसमें एयर डिफेंस सुरक्षा को नष्ट करना या विमान को मार गिराना शामिल है।

न्यू यॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट बताती है कि नो-फ्लाई जोन का इस्तेमाल मॉडर्न दुनिया में फारस की खाड़ी युद्ध से उपजा है। 1991 में अमेरिका और सहयोगी देशों द्वारा कुवैत पर इराक के आक्रमण को रद्द करने के बाद, इराक के नेता सद्दाम हुसैन ने विद्रोह को कुचलने के लिए हेलीकॉप्टर गनशिप का इस्तेमाल किया, जिसमें हजारों लोग मारे गए थे। नो-फ्लाई जोन इराक में 2003 युद्ध तक जारी रहा था। 

संयुक्त राष्ट्र के अनुमोदन से नाटो ने 1993 से 1995 तक बाल्कन संघर्ष के दौरान बोस्निया और हर्जेगोविना पर नो-फ्लाई जोन लागू किया था। जब लीबिया के तानाशाह कर्नल मुअम्मर अल-कद्दाफी विद्रोह को कुचलने की कोशिश कर रहे थे उस वक्त भी नाटो ने 2011 में लीबिया में नो-फ्लाई जोन लागू किया था।

About Author

Comments are closed.

Maintain by Designwell Infotech